भोपाल
 रेलवे अपने स्टेशनों को पुन: विकसित कराने के लिए अब निजी कंपनियों को नहीं सौंपेगा, बल्कि खुद इनकी सूरत संवारेगा। इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। 51 प्रमुख स्टेशनों को इंजीनियरिंग, प्रबंध और निर्माण (ईपीसी) माडल के तहत विकसित किया जाएगा। वर्षों से चले आ रहे इस माडल में अनुबंध कर ठेकेदारों से काम करवाया जाता है। इन 51 स्टेशनों की सूरत बदलने के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके लिए रेल लैंड डेवलपमेंट अथारिटी को नोडल एजेंसी बनाया गया है। एजेंसी ने दो स्टेशनों की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है, दो की जारी है। बाकी 47 स्टेशनों के लिए भी टेंडर जल्द निकाले जाएंगे।

अथारिटी में वाइस चेयरमैन कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार व रेलवे बोर्ड के बीच राशि खर्च करने को लेकर सहमति बनने के बाद ईपीसी माडल पर टेंडर बुलाने की अनुमति मिली थी। इनमें स्टेशनों की संख्या बढ़ भी सकती है। सभी प्रमुख स्टेशनों के टेंडर पूर्ण होने के बाद जानकारी सार्वजनिक भी की जाएगी। भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत विकसित किया गया है। इस पर 400 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। इनमें से यात्री सुविधाओं वाले कामों पर करीब 100 करोड़ व 300 करोड़ रुपये व्यावसायिक गतिविधियों पर खर्च किए जा रहे हैं। यह राशि निजी कंपनी लगा रही है। रेलवे ने बदले में डेवलपर कंपनी को 45 वर्षों के लिए लीज पर स्टेशन व उसके आसपास की बेशकीमती जमीन दी है। इसमें यात्रियों व माल परिवहन से कमाई को छोड़कर सभी पर डेवलपर का अधिकार है। रेलवे इसी माडल के तहत इन 51 स्टेशनों को विकसित करने की मंशा भी जाहिर कर चुका था।

इन स्टेशनों का पुन: विकास करने जा रहा रेलवे

टेंडर प्रक्रिया पूर्ण : तिरुपति और गया।

इनके टेंडर खुले : उधना व सोमनाथ।

इन स्टेशनों के टेंडर जुलाई के पहले हफ्ते में खुलेंगे : दिल्ली कैंट, चारबाग (लखनऊ), गाजियाबाद, उदयपुर, कोटा, ढकनिया तलाव, लुधियाना, ग्वालियर, फरीदाबाद, पुरी, नागपुर, भुवनेश्वर, रामेश्वरम, एर्नाकुलम, कन्याकुमारी, पुडुचेरी, नेल्लौर, मुदुरै, कोल्लम, मुजफ्फरपुर, कटपाड़ी, जम्मू-तवी, बेंगलुरु कैंट, न्यू जलपाईगुड़ी, जालंधर कैंट, सिकंदराबाद, साबरमती, चंडीगढ़, जयपुर, चेन्न्ई एग्मोर, एर्नाकुलम टाउन, जैसलमेर, रांची, जोधपुर, कानपुर, प्रयागराज व विशाखापट्टनम।