इस्लामाबाद
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कोई नया नहीं है। भारत आए दिन इस मुद्दे को उठाया रहता है। बीते दो दिनों के अंदर ही पाकिस्तान में दो सिख दुकानदारों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। शनिवार को पेशावर में 32 साल के मनमोहन सिंह को राशिदगढ़ी बाजार में गोली मार दी गई।

इससे पहले शुक्रवार को एक दुकानदार तरलोक सिंह को अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी। हालांकि उनकी जान बच गई थी। मनमोहन सिंह राशिदगढ़ी में किराने की दुकान चलाते थे। वह अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। मनमोहन अपनी दुकान में ताला लगाकर घर की ओर जा रहे थे। तभी मोटरसाइकल सवार हमलावरों ने उनपर गोली चला दी। मौके पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

मनमोहन का एक भाई दिव्यांग है और एक बहन है। इसके अलावा उनका एक बेटा भी है। मनमोहन के मां-बाप समेत पूरा परिवार उनपर ही निर्भर था। यूनाइटेड सिख की तरफ से कहा गया है कि पाकिस्तानी राजनयिक से मुलाकात करके पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर बात की जाएगी।

सिखों के ग्रुप ने कहा, पाकिस्तान में सिखों पर हो रहे अत्याचार से हमें बहुत दुख है। ये हमले ना केवल भयावह हैं बल्कि मानवाधिकारों को तार-तार करने वाले भी हैं। पाकिस्तान सरकार को इस तरह के हमले रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। हम पीड़ित लोगों के लिए न्याय की मांग करते हैं। बता दें कि 1947 में बंटवार के बाद से ही पाकिस्तान में सिख अल्पसंख्यकों के रूप में रह रहे हैं।

सिखों के समूह ने कहा कि इस घटना की जांच करवाई जानी चाहिए। जो लोग मेहनत करते हैं और अपना पेट भरते हैं आखिर उनपर क्यों हमले किए जा रहे हैं। यह कौन सी  साजिश है। क्या इन हमलों के जरिए कोई संदेश देने की कोशिश की जा रही है? बता दें कि पेशावर में लगभग 300 सिख परिवार रहते हैं। हालांकि वे डर के साए में जिंदगी काटने को मजबूर हैं।