वाशिंगटन
अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बीते अगस्त महीने में बढ़ाकर 50 फीसदी (US Tariff On India) कर दिया था. इसके बाद देश में इसके असर से जुड़ी तमाम आशंकाएं भी जाहिर की जा रही है, लेकिन केंद्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governor Sanjay Malhotra) ने इस पर बड़ी बात कही है. अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में IMF और विश्व बैंक की सालाना बैठक के मौके पर उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक बुनियाद बेहद मजबूत है और अमेरिकी टैरिफ कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है.
'भारत के लिए टैरिफ चिंता का विषय नहीं'
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भारत पर लगे अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं को सीधे तौर पर खारिज किया है. उन्होंने कहा कि टैरिफ के बजाय भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था व्यापार दबाव का सामना जरूर कर सकती है. आईएमएफ और विश्व बैंक की बैठक के अवसर पर उन्होंने साफ किया कि भारत मुख्यतः घरेलू अर्थव्यवस्था है, इसलिए हम पर इसका प्रभाव तो पड़ता है, लेकिन यह कोई बड़ी चिंता का विषय बिल्कुल भी नहीं है.
ट्रेड डील से होगा भारत को लाभ
गवर्नर वार्ता सत्र में बोलते हुए संजय मल्होत्रा ने कहा कि टैरिफ के चलते वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद भारत की व्यापक आर्थिक बुनियाद मजबूत बनी हुई है. उन्होंने कहा कि हम नीतिगत अनिश्चितताओं के दौर में हैं, जो एक ऐसा जोखिम है जिस पर सभी उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं को विचार करना चाहिए. आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, अगर वाशिंगटन के साथ ट्रेड डील (India-US Trade Deal) जल्दी ही किसी नतीजे पर पहुंच जाती है, तो इसमें संभावित लाभ भी हो सकता है.
रुपये पर दबाव पर बोले RBI गवर्नर
Trump Tariff के असर के बीच कमजोर इंडियन करेंसी रुपया के बारे में बोलते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी बात को दोहराया. उन्होंने कहा कि, 'आरबीआई किसी स्पेशल वैल्यू टारगेट को लक्षित नहीं करता है. हमारा मानना है कि बाजार ही तय करेगा कि मूल्य स्तर क्या होना चाहिए? हमारा प्रयास वास्तव में यह सुनिश्चित करना है कि रुपये की एक व्यवस्थित गति बनी रहे और किसी भी असामान्य अस्थिरता पर अंकुश लगाया जा सके.'
रेपो रेट में कटौती की गुंजाइश!
चर्चा के दौरान गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आगे महंगाई पर बात करते हुए कहा कि अनुमानों में कमी के बाद महंगाई दर में नरमी का आउटलुक इकोनॉमिक ग्रोथ को और अधिक समर्थन देने के लिए नीतिगत गुंजाइश प्रदान करता है. उनके मुताबिक, रेपो रेट (Repo Rate) में और अधिक कटौती करने की गुंजाइश है, लेकिन मेरा मानना है कि इसके लिए यह उपयुक्त समय नहीं है, क्योंकि इसका उम्मीद के मुताबिक प्रभाव नहीं होगा.