बिलासपुर
 गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग के अंतर्गत हो रही नियुक्तियों में निर्धारित मापदंडों को लेकर दायर याचिका पर जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। यूनिवर्सिटी के अधिवक्ता के जवाब के बाद कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के कुलपति व रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

बीते सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा था कि यह विश्वविद्यालय का दायित्व बनता है कि वह यह स्पष्ट करे कि विज्ञापन किस विषय से संबंधित है और क्या वह एनसीटीई द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यताओं के अनुरूप है। अदालत ने इस संबंध में विश्वविद्यालय से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। आज इस मामले की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई।

बता दें कि गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में शिक्षा विभाग के अंतर्गत हो रही नियुक्ति पर शिक्षा विभाग को मान्यता देने वाली संस्था नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन के नियमों की अनदेखी संबंधी मामला याचिकाकर्ता नवीन चौबे की ओर से अधिवक्ता आशुतोष शुक्ल ने पैरवी की। सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय के अधिवक्ता कोर्ट में संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। कोर्ट ने अपने पिछले आदेश नौ अक्टूबर का उचित परिपालन विश्वविद्यालय द्वारा नहीं किए जाने के पर जवाब मांगा है।

विश्वविद्यालय से हाई कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण

हाई कोर्ट ने गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उनके द्वारा जारी की गई भर्ती विज्ञापन में किस विषय या विशेषज्ञता क्षेत्र के लिए पद निकाले गए हैं और क्या यह विज्ञापन राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद विनियम 2014 के अनुरूप है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बीते सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशुतोष शुक्ला ने अदालत को बताया था कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी विज्ञापन त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि उसमें संबंधित विषय या विशेषज्ञता का उल्लेख नहीं है।

अधिवक्ता ने पेश किया जवाब

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता ने जवाब प्रस्तुत किया था। उन्होंने दलील दी थी कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा 1993 के अधिनियम की धारा 32(2) के अंतर्गत 2014 में जो विनियम बनाए गए हैं, उनके अनुसार पर्सपेक्टिव इन एजुकेशन या फांउडेशन कोर्स के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार के पास समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या अन्य सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर डिग्री, न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ। एमए. या एमएड में भी कम से कम 55 प्रतिशत अंक। साथ ही बीएड या बीएएलएड में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक वाली योग्यताएं होनी चाहिए।

याचिकाकर्ता के अनुसार, जब तक विश्वविद्यालय यह स्पष्ट नहीं करता कि यह विज्ञापन किस विषय या कोर्स के लिए है, तब तक यह अस्पष्ट और अपूर्ण माना जाएगा।