नई दिल्ली

शानदार सैलरी के साथ सुरक्षित रोजगार के लिए जानी जाने वाली कंपनी टीसीएस की ओर से छटनी के ऐलान ने दुनिया को हैरान किया है। आईटी सेक्टर की भारत ही नहीं दुनिया की इस दिग्गज ने 12 हजार कर्मचारियों को हटाने का ऐलान किया है। कंपनी का कहना है कि फ्यूचर रेडी होने, नई तरह की डिमांड के लिहाज से खुद को तैयार करने और नई तकनीक से सामंजस्य बिठाने के लिए कंपनी ने ऐसा फैसला लिया है। लेकिन इससे आईटी कर्मचारियों में नाराजगी है। यही नहीं कर्नाटक स्टेट आईटी एंप्लॉयीज यूनियन ने इस मामले में एक केस भी दायर कर दिया है।

आईटी यूनियन ने लेबर कमिश्नर के पास मामला दायर किया है। यूनियन का कहना है कि टीसीएस ने नियमों का उल्लंघन करते हुए छटनी का फैसला लिया है। इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट, 1947 के तहत कंपनी पर नियमों का उल्लंघन करते हुए छटनी करने का आरोप लगाया गया है। टीसीएस का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 2026 में वह अपनी वर्कफोर्स में 2 फीसदी की कमी करेगी। इसका अर्थ हुआ कि 12 हजार लोगों की नौकरी चली जाएगी। इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक आईटी यूनियन के प्रतिनिधियों ने अडिशनल लेबर कमिश्नर जी. मंजूनाथ से मुलाकात की और कर्मचारियों की संस्याओं से अवगत कराया है। उन्होंने शिकायत दी है।

देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्‍टेंसी सर्विसेज (TCS) ने पहली बार छंटनी का ऐलान किया तो देशभर में हड़कंप मच गया. कंपनी ने ऐलान किया है कि वह चालू वित्‍तवर्ष में अपने 2 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करेगी, जिसका मतलब है कि करीब 12 हजार लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा. अब कर्नाटक राज्‍य आईटी कर्मचारी संघ (KITU) ने इस प्रस्‍तावित छंटनी का विरोध किया है और कहा है कि कंपनी ने राज्‍य के नियमों का उल्‍लंघन किया है. कर्मचारी संघ ने तो कंपनी के खिलाफ मुकदमा भी शुरू कर दिया है.

KITU ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की प्रस्तावित छंटनी के खिलाफ औद्योगिक विवाद दर्ज किया है. साथ ही श्रम विभाग से प्रबंधन के खिलाफ औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 और कर्नाटक सरकार द्वारा सेवा विवरण रिपोर्टिंग पर लगाए गए शर्तों के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है. KITU के प्रतिनिधियों ने अतिरिक्त श्रम आयुक्त जी मंजुनाथ से मुलाकात की और कई कर्मचारी शिकायतों का हवाला देते हुए एक शिकायत सौंपी है. इसमें कहा गया है कि टीसीएस की प्रस्‍तावित छंटनी पूरी तरह नियमों के विरुद्ध है.

क्‍या है कर्नाटक सरकार का नियम
कर्नाटक राज्‍य के औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत 100 से अधिक कर्मचारियों को रोजगार देने वाली कंपनियों को किसी भी छंटनी या पुनर्गठन से पहले सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी होती है. ऐसे कार्य केवल विशिष्ट कारणों और अधिनियम में स्पष्ट रूप से परिभाषित शर्तों के तहत ही किए जा सकते हैं. KITU ने दावा किया कि TCS प्रबंधन ने इन प्रावधानों का उल्लंघन किया है. संघ ने उल्लंघनों में शामिल अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और प्रभावित कर्मचारियों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए श्रम विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है.

श्रम विभाग ने शुरू किया मंथन
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि श्रम विभाग ने भी टीसीएस प्रबंधन के साथ प्रस्तावित छंटनी पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की योजना बनाई है. हालांकि, इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है. राज्य के श्रम मंत्री ने निर्देश दिया है कि यह बैठक जल्द से जल्द होनी चाहिए. उधर, कर्मचारी संगठन ने स्थिति की गंभीरता पर जोर देते हुए आईटी क्षेत्र में श्रम कानूनों के सख्त पालन की मांग की है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो यह राज्य में कर्मचारियों के अधिकारों के लिए खतरनाक मिसाल बन सकता है.

क्‍या कह रहा टीसीएस का प्रबंधन
टीसीएस ने कहा है कि छंटनी उसकी भविष्य की तैयारियों की रणनीति का हिस्सा है, जिसमें तकनीक में निवेश, एआई का उपयोग, बाजार विस्तार और कर्मचारियों की संख्‍या का पुनर्गठन शामिल है. इस दिशा में कई स्‍तरों पर बदलाव चल रहा है. जाहिर है कि इस प्रक्रिया में उन कर्मचारियों को निकालना पड़ेगा, जिनकी तैनानी संभव नहीं हो सकती है. यही वजह है कि हमारे कुल कर्मचारी संख्‍या का करीब 2 फीसदी प्रभावित होगा.

इस बीच श्रम विभाग के सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही टीसीएस के मैनेजमेंट के साथ मीटिंग की जाएगी। इसमें चर्चा की जाएगी कि आखिर इस तरह लेऑफ का फैसला क्यों लिया गया। अभी तारीख तय नहीं है, लेकिन कर्नाटक के श्रम मंत्री ने साफ किया है कि जल्दी ही मीटिंग होगी। वहीं यूनियन का कहना है कि यदि नियमों का उल्लंघन करके इस तरह से छटनी हो गई तो फिर भविष्य के लिए यह खतरनाक ट्रेंड स्थापित हो जाएगा।