भुवनेश्वर
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि केंद्र ओडिशा को अक्षय ऊर्जा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करने और राज्य में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की संभावनाओं की जानकारी पाने की योजना बना रहा है। केंद्रीय मंत्री ने उड़ीसा के भुवनेश्वर में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही।

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, "ओडिशा में रिन्यूएबल एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं, यहां 140 गीगावाट की सौर क्षमता है और इसकी लंबी तटरेखा तथा बंदरगाह के कारण हरित हाइड्रोजन में काफी अवसर है। केंद्र का लक्ष्य ओडिशा को अक्षय ऊर्जा के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना और राज्य में हरित हाइड्रोजन उत्पादन की संभावनाओं का पता लगाना है। ओडिशा में फ्लोटिंग सोलर पैनल की संभावनाओं का भी पता लगाया जाएगा।"

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि एक एजेंसी ने राज्य के ढेंकनाल जिले में लगभग 9,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सौर मॉड्यूल, सौर सेल और इंगोट-वेफर के उत्पादन के लिए 6,000 मेगावाट की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी स्थापित करने का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि एक अन्य एजेंसी भुवनेश्वर में इन्फोवैली-II में लगभग 730 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सौर मॉड्यूल और सेल के उत्पादन के लिए 1,000 मेगावाट की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी स्थापित कर रही है।

अपने संबोधन के दौरान, जोशी ने घोषणा की कि 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एमएनआरई द्वारा विद्युत मंत्रालय के सहयोग से सभी हितधारकों के साथ एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने अगले छह वर्षों में 288 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके लिए ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर सहित 42 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी हितधारकों को रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दो दिवसीय कार्यक्रम में 117 उद्योग जगत के लीडर और विभिन्न राज्यों -सार्वजनिक उपक्रमों के 67 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसमें 12 प्रमुख रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादक राज्यों की भागीदारी रही। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित ‘पंचामृत’ लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी के लक्ष्य पर जोर दिया गया।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि एमएनआरई रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में स्टार्टअप के लिए हैकाथॉन का आयोजन करेगा। रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में इनोवेशन और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए विद्युत मंत्रालय के सहयोग से रिसर्च और विकास के लिए एक नया जॉइंट सेंटर ऑफ एक्सिलेंस भी स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने रिन्यूएबल एनर्जी परियोजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) को शीघ्र अंतिम रूप देने और नवीकरणीय खरीद दायित्वों (आरपीओ) को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया।