नई दिल्ली

भारत साल 2022 के पहले चार महीनों में श्रीलंका के सबसे बड़े ऋणदाता के रूप में उभरा है। भारत ने श्रीलंका को इन चार महीनों में 37.69 करोड़ डॉलर का ऋण दिया। वहीं चीन ने केवल 6.790 करोड़ डॉलर का कर्ज श्रीलंका को दिया है। द्वीप राष्ट्र श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा की कमी के चलते 2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका की हालत खराब है। भोजन, दवा और पेट्रोल डीजल की भारी कमी से जनजीवन अस्त व्यस्त है।

पिछले महीने, श्रीलंका विदेशी कर्ज चुकाने से चूक गया था और इसकी मुद्रास्फीति में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। आर्थिक स्थिति बिगड़ने से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ जिसके कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

समाचार पत्र डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 के पहले चार महीनों यानी 30 अप्रैल तक दिए गए पैसों के अनुसार, भारत ऋणदाताओं की सूची में सबसे ऊपर है। एशियाई विकास बैंक (ADB) इस अवधि में 35.96 करोड़ डॉलर के साथ दूसरा सबसे बड़ा ऋणदाता था। इसके बाद विश्व बैंक है जिसने श्रीलंका को 6.73 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है।

चीन द्वारा दिए गए कर्ज को अखबार ने "मामूली" बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब श्रीलंका ने इस साल की शुरुआत में विदेशी मुद्रा की भारी कमी का सामना करना शुरू किया तो भारत इसके बचाव में आया था। 2022 के पहले चार महीनों में, श्रीलंका को 96.81 करोड़ डॉलर का विदेशी ऋण मिला है जिसमें 0.7 मिलियन डॉलर का अनुदान भी शामिल है।

2022 की शुरुआत से श्रीलंका के लिए भारत की विदेशी सहायता का पूरा पैकेज शामिल है। भारत ने इस दौरान श्रीलंका को ईंधन, भोजन और दवाओं की आपातकालीन खरीद के लिए ऋण दिया, एशियाई समाशोधन संघ के भुगतान को आगे बढ़वाया और एक करेंसी स्वैप भी है। भारत ने श्रीलंका के साथ 3.8 बिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप की थी।