भोपाल
आषाढ़ के महीने में आने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. धार्मिक मान्यता ऐसी है कि वेदों के रचयिता वेद व्यास जी का जन्म इसी तिथि को हुआ था. इसी वजह से इसी तिथि को वेद व्यास जयंती मनाई जाती है. गुरु पूर्णिमा के दिन वेद व्यास की पूजा की जाती है.

इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व 13 जुलाई, दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन गुरुओं का सम्मान और पूजन किया जाता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि गुरु पूर्णिमा का महत्व, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि. इस बार गुरु पूर्णिमा पर मंगल, बुध, गुरु और शनि के अनुकूल स्थिति में विराजमान होने की वजह से शुभ योग बन रहे हैं, इसमें रूचक योग, भद्र योग, हंस योग और शश नामक राजयोग के नाम से जाना जाता है।

राजधानी में एक बार फिर गुरु शिष्य परंपरा की झलक दिखाई देगी। शिष्य अपने गुरु के दर्शन कर पांव पखारेंगे। तो वहीं गुरु पूजा कर उनका आशीर्वाद लेंगे। इस पावन उपलक्ष्य पर मां चामुंडा दरबार की ओर से पं रामजीवन दुबे गुरुजी के नेतृत्व में गुरुपूर्णिमा महोत्सव, नेहरू नगर स्थित ज्योतिष मठ संस्थान सहित 15 से अधिक जगहों जगह गुरु वंदना कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। शहर में 2500 से ज्यादा शिष्यों ने गुरुदक्षिणा लेकर गुरुओं के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेंगे। शिष्य अपने-अपने गुरुओं के स्थल पर पहुंचकर उन्हें उपहार भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। पं रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों की रचना की थी। इस कारण इन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया जाता है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 जुलाई को प्रात: 4 बजे हो रहा है और इसका समापन उसी दिन देर रात 12:06 बजे होगा।

गुरु मंत्र प्राप्ति मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा पर इंद्र योग प्रात: काल से लेकर दोपहर 12:45 बजे तक है, गुरु पूर्णिमा के दिन इस योग में जो व्यक्ति गुरु मंत्र लेता है, सर्वत्र विजयी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा पर मंगल, बुध, गुरु और शनि के अनुकूल स्थिति में विराजमान होने की वजह से शुभ योग बन रहे हैं, इसमें रूचक योग, भद्र योग, हंस योग और शश नामक राजयोग है। इस शुभ योग में गुरुओं की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जीवन के कष्ट दूर होंगे।