बीजिंग
जासूसों का वैश्विक नेटवर्क बनाकर चीन दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने आलोचकों और असंतुष्टों को चुप कराने का काम करता है। कई रिपोर्टो में ऐसी बातें कहीं जाती रही हैं। वहीं, अमेरिका स्थित एक संगठन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में 2014 से 2021 के बीच अंतरराष्ट्रीय दमन की 735 घटनाओं का दस्तावेज प्रस्तुत कर इसे पुष्ट करने की कोशिश की है। वाशिंगटन डीसी स्थित संगठन फ्रीडम हाउस की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा कई समूहों को लक्षित कर चीन की विदेशी आबादी पर दबाव बनाने और नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। इसमें कई जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यक, राजनीतिक असंतुष्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता व पत्रकार शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के अल्पसंख्यक मुस्लिम उइगरों, तिब्बतियों और राजनीतिक असंतुष्टों का उत्पीड़न आम तौर पर राज्य सुरक्षा मंत्रालय द्वारा रोका जाता है। लेकिन लोक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा अक्सर चीन के भीतर परिवार के सदस्यों को धमकी देकर दबाव बनाया जाता है।

विदेशों में रहने वाले चीनी अल्पसंख्यकों का दावा
न्यूज एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में रह रहे चीनी अल्पसंख्यकों के साथ वहां से निर्वासित लोग भी महसूस करते हैं कि चिनफिंग सरकार की उन पर कड़ी नजर है। दूसरे देशों में भी वह उनके अधिकारों के हनन से गुरेज नहीं कर रही है। फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट के अनुसार CCP सरकार बेहद ताकतवर है और इसलिए ही ऐसा हो रहा है। विदेशी सरकारें भी चीन के प्रभाव में आ सकती है। रिपोर्ट में चिनफिंग सरकार को लेकर बताया गया कि यह तीन तरह से विदेशों में रह रहे चीनियों को निशाना बनाती है। सबसे पहले में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जाता है इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की बारी आती है और सबसे अंत में पत्रकारों का समुदाय इनकी जद में आता है। इन्हें चीन अपने प्रभाव में लेने की पुरजोर कोशिश करता है।