नई दिल्ली
 दिवालिया हो चुकी इन्फ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) को कर्ज देने वाले बैंकों को तगड़ा झटका लग सकता है। कंपनी के प्रमोटर्स की कुल बैंक गारंटी 778 करोड़ रुपये की है जबकि बैंकों का उस पर 52,000 करोड़ रुपये का बकाया है। यानी कंपनी की कुल गारंटी बकाये के दो फीसदी से भी कम है। साफ है कि कंपनी के प्रमोटर्स द्वारा दी गई व्यक्तिगत गारंटी उनकी देनदारियों को पूरा करने के लिए नाकाफी है। इस कंपनी के पास दिल्ली, आगरा, नोएडा और मसूरी में होटल हैं। साथ ही उसका सीमेंट और रियल एस्टेट का भी बिजनस है। बैंक उम्मीद कर रहे हैं कि इन्हें बेचकर कुछ बकाया वसूल किया जा सकता है। आईसीआईसीआई बैंक ने 2018 में कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसे पिछले महीने की शुरुआत में बैंकरप्सी कोर्ट ने स्वीकार किया गया था।

जेएएल के चेयरमैन और प्रमोटर मनोज गौड़ ने 778 करोड़ रुपये की कुल गारंटी दी है। बैंकरों के मुताबिक गौड़ और वाइस चेयरमैन सुनील कुमार शर्मा द्वारा दी गई करीब 800 करोड़ रुपये की गारंटी का कोई खास महत्व नहीं रह गया है। करीब सात साल पहले 2017 में आरबीआई ने कंपनी को दिवालिया घोषित करने की सिफारिश की थी। एक बैंकर ने कहा कि व्यक्तिगत गारंटी बैंकों के लिए केवल एक सुविधा है। यह प्रमोटरों द्वारा दर्शाई गई एसेट्स पर निर्भर करती है, जो इस मामले में कई साल पहले की है। हम इस पर निर्भर नहीं हैं। कंपनी के होटल, सीमेंट या रियल एस्टेट एसेट्स में से कुछ अब भी काम कर रही हैं। बैंकों की उम्मीद है कि इन्हें बेचकर कुछ बकाया वसूल किया जा सकता है।

किस बैंक का है सबसे ज्यादा बकाया

अंतरिम समाधान पेशेवर भुवन मदान के दाखिल दस्तावेजों से पता चलता है कि जेएएल पर एसबीआई का सबसे ज्यादा 15,000 करोड़ रुपये का बकाया है। आईसीआईसीआई बैंक 9,204 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर है। कंपनी के जिन एसेट्स पर बैंकों का पहला चार्ज है उनमें आगरा, नोएडा, दिल्ली और मसूरी में होटल, चुर्कट, रेवत, साधवा खुर्द और चुनार में पांच सीमेंट प्लांट तथा नोएडा के करीब यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया में जमीन शामिल है। एक दूसरे बैंकर ने कहा कि प्रमोटर्स द्वारा दी गई गारंटी एक प्रकार का बीमा है, क्योंकि व्यक्तिगत इनसॉल्वेंसी लागू करने के सिविल के साथ-साथ सामाजिक प्रभाव भी होते हैं।