भोपाल
 झीलों की नगरी और चारों तरफ से हरियाली से घिरी राजधानी भोपाल की हवा भी प्रदूषित हो चुकी है। यहां के लोग भी 19 दिनों से जहरीली हो चुकी हवा में सांस लेने को विवश हैं। नवंबर यह सातवीं बार है, जब भोपाल का एक्यूआई 300 के पार हुआ है।

हैरत की बात तो यह है कि वायु प्रदूषण की इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद अब तक प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी नहीं जागे हैं, जबकि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कई तरह की सख्तियां और पाबंदियां लगा दी गई हैं। स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है, वर्क फार होम शुरू कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट खुद इस मामले को लेकर गंभीर दिख रहा है।

राजधानी भोपाल में जिम्मेदारों की लापरवाही शहर की लगभग 23 लाख आबादी परेशान हो रही है। यहां एक्यूआई खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, इसके बाद भी शहर में अब तक न तो किसी तरह की सख्ती की गई है और न ही कोई पाबंदी लगाई गई है। शहर की हवा में इस वक्त पीएम 2.5 की मात्रा भी अधिक है, जो कमजोर इम्यूनिटी के लोगों को बीमार करने के लिए काफी है।

मंगलवार शाम को भोपाल के कलेक्ट्रेट परिसर में सर्वाधिक एक्यूआई 316 दर्ज किया गया। पर्यावरण परिसर का एक्यूआई 312 और टीटी नगर का एक्यूआई 309 दर्ज हुआ है। बता दें कि जहां कभी एक्यूआई 60 तक पहुंचने पर ही हलचल मच जाती थी, वहां आज वायु प्रदूषण इतना अधिक बढ़ जाने पर भी किसी स्तर पर सतर्कता नहीं बरती जा रही है।

नवंबर में कब-कब 300 पार हुआ एक्यूआई
दिनांक     एक्यूआई

1 नवंबर     306
6 नवंबर     301
7 नवंबर     318
8 नवंबर     323
9 नवंबर     310
13 नवंबर     367
19 नवंबर     315

वायु प्रदूषण के ये हैं प्रमुख कारण
– सड़क पर उड़ती धूल
– निर्माण कार्यों के दौरान उड़ती धूल
– वाहनों से निकलने वाला धुआं
– कचरे को जलाना
– लकड़ी को जलाना
– ग्रीव कवर कम होना
– शहर का अनियोजित विकास

निर्माणकर्ताओं की मनमानी पर अंकुश नहीं
शहर में निर्माणकर्ताओं की मनमानी पर अब तक अंकुश नहीं लगाया गया है, जबकि भोपाल प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का भी मानना है कि सड़क पर उड़ रही धूल की वजह से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसके बावजूद अब तक किसी भी निर्माण एजेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

यहां बता दें कि मेट्रो प्रोजेक्ट के कामों के दौरान बहुत धूल उड़ रही है। लोक निर्माण विभाग भी हमीदिया रोड पर सड़क निर्माण का कार्य कर रहा है, वहां भी जमकर धूल उड़ रही है। कुछ ऐसा ही हाल जेके रोड पर सड़क निर्माण और लालघाटी हलालपुर बस स्टेशन के पास निर्माणाधीन ओवर ब्रिज के कारण है, जहां सड़क को खोदने के कारण धूल उड़ रही है। यह शहर में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिनकी लापरवाही का खामियाजा शहर के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं नागरिक
शहर में जगह-जगह कचरा जलाया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन इस तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।

– उमाशंकर तिवारी, रहवासी बागमुगालिया
पेड़ों की कटाई की वजह से शहर का पर्यावरण खराब हो रहा है। पेड़ों से वायु शुद्ध होती है, लेकिन अनियोजित विकास पेड़ों का दुश्मन बन गया है।

– रवि द्विवेदी, रहवासी, कोलार
एक्सपर्ट व्यू – सुयश कुलश्रेष्ठ, रजिस्टर्ड, टाउन प्लानर एंड स्ट्रक्चर

    निर्माण स्थल पर उड़ने वाली धूल को रोकने के लिए ग्रीन नेट का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। इसका इस्तेमाल किया जाएगा तो धूल कम उड़ेगी।

    ठोस कचरे का व्यवस्थापन नहीं हो रहा। यदि कचरे का व्यवस्थापन सही तरीके से होगा तो कचरा जलाने की नौबत नहीं आएगी।

    निर्माण कार्य के उपयोग में आने सामग्री (रेत, सीमेंट) को खुले में रखी जा रही है, जबकि इसे बंद स्थान पर रखना चाहिए।

    गाड़ियों में पीयूसी चेक के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। बिना चेक किए ही सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। इसकी सही तरीके से चेकिंग होनी चाहिए।

    रेस्टोरेंट में खुले में चल रहे तंदूर और पेड़ों की कटाई लगातार चल रही है। इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।

इनका कहना है
पीसीबी की वेबसाइट में लाइव एयर क्वालिटी डाटा में जो एक्यूआई दिखाया जाता है, वह लाइव होता है। इसलिए पीक आवर में एक्यूआई ज्यादा दिखता है, लेकिन पीसीबी दिनभर का औसत एक्यूआई 24 घंटे की मानिटरिंग के आधार पर निकलता है, जो फिलहाल 200-250 के आसपास है। जिस दिन ज्यादा धूल और धुआं होता है, उस दिन एवरेज एक्यूआई 300 के पार भी हुआ है।

– ब्रजेश शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, पीसीबी, भोपाल