नई दिल्ली
 मैन्युफैक्चरिंग पर इतराने वाला चीन अब इसमें काफी पीछे हो गया है। एक तरफ जहां चीन की इकनॉमिक ग्रोथ काफी धीमी है वहीं भारत को अच्छी खबर मिली है। एचएसबीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी आई है। भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है।

इस तेजी का कारण विदेशी मांग है। दुनिया के कई देशों से भारत को न केवल नए ऑर्डर मिले बल्कि बिक्री में भी तेजी आई। इस कारण अक्टूबर में नौकरियों की संख्या भी बढ़ गई। अक्टूबर में भारत को एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अमेरिका से ज्यादा ऑर्डर मिले, जिस कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी देखी गई।
 

चीन से कितना आगे निकला भारत?

एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 57.5 पॉइंट हो गया। यह सितंबर में 56.5 पॉइंट था जो आठ महीने का निचला स्तर था। पीएमआई बढ़ने से पता चलता है कि परिचालन स्थितियों में काफी सुधार आ रहा है। वहीं दूसरी ओर चीन की पीएमआई 50.30 पॉइंट है। हालांकि अक्टूबर में चीन के पीएमआई में भी कुछ तेजी आई है। लेकिन कुल पॉइंट में यह भारत से पीछे रह गया है।

भारत में बनी चीजों की बढ़ी मांग

पिछले कुछ समय में भारत में बनी चीजों की दुनियाभर में मांग बढ़ी है। कई विदेशी कंपनियों ने काफी संख्या में ऑर्डर बुक किए हैं। जितने औसतन ऑर्डर पिछले 20 साल में मिले हैं, मौजूदा दौर में ऑर्डर की संख्या उससे ज्यादा हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नए प्रोडक्ट की शुरुआत और सफल मार्केटिंग ने चीजों की बिक्री बढ़ाने में मदद की है।

कर्मचारियों की संख्या बढ़ी

मांग बढ़ने से कर्मचारियों की संख्या में भी तेजी आई है। यानी रोजगार के अवसर बढ़े हैं। डेटा के मुताबिक मैन्युफैक्चरर्स ने अक्टूबर में अतिरिक्त कर्मचारियों को जॉब दी। यह संख्या सितंबर के रखे गए नए कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा थी।

अक्टूबर का डेटा कलेक्शन करीब 20 वर्षों में सबसे अधिक रहा। एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स भविष्य के प्रोडक्शन की मात्रा के बारे में अधिक आशावादी हो गए हैं।