भोपाल
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा केस की जांच कर रहे ईडी अधिकारियों का तबादला किया गया है। इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने सनसनीखेज आरोप लगाया है। कहा कि सरकार जांच एजेंसी पर दबाव डालकर आरोपियों को बचाना चाहती है। वहीं इन आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है।
दो डिप्टी डायरेक्टरों का ट्रांसफर
सौरभ शर्मा केस की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर तुषार श्रीवास्तव और रीतेश कुमार श्रीवास्तव का ट्रांसफर कर दिया गया है। दोनों को दिल्ली भेजा गया है। डिप्टी डायरेक्टर तुषार श्रीवास्तव को दिल्ली जोनल ऑफिस और ED भोपाल स्थित कार्यालय से डिप्टी डायरेक्टर रितेश कुमार श्रीवास्तव को दिल्ली हेडक्वार्टर भेजा गया है। मुकेश कुमार को भोपाल जोन ऑफिस में डिप्टी डायरेक्टर बनाया गया है। ईडी ने इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया है।
कांग्रेस और बीजेपी में वार-पलटवार
ईडी अधिकारी के तबादले पर मध्यप्रदेश की सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने कहा कि बीच जांच में तुषार श्रीवास्तव का तबादला कर दिया गया। सरकार जांच एजेंसी पर दबाव डालकर आरोपियों को बचाना चाहती है। सफेदपोश लोगों को बचाने के लिए ये किया गया है। जनता समझ रही है इसमें सरकार की मिलीभगत है। कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया हैं। भाजपा प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि हमारी सरकार में एजेंसियां निष्पक्ष जांच करती हैं। यह सौरभ शर्मा मामले में साबित हो चुका है। कांग्रेस भ्रष्टाचार के मामलों में राजनीति करती है।
IT ने लोकायुक्त में रिमांड के लिए लगाया आवेदन
इधर, सौरभ शर्मा, चेतन गौर और शरद जायसवाल के मामले में तीसरी जांच एजेंसी आयकर विभाग भी सक्रिय हो गई है। आईटी ने आज लोकायुक्त कोर्ट में तीनों की रिमांड के लिए आवेदन लगाया है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी सौरभ शर्मा की जमानत याचिका पर 19 फरवरी को विशेष न्यायाधीश सचिन कुमार घोष के सामने सुनवाई हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।
18 दिसंबर को रेड, GOLD और कैश बरामद
आपको बता दें कि 18 दिसंबर को लोकायुक्त ने राजधानी भोपाल में सौरभ शर्मा के घर छापामार कार्रवाई की थी। वहीं 19 दिसंबर को मेंडोरी गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को खाली प्लॉट पर खड़ी एक लावारिस क्रिस्टा गाड़ी के होने की सूचना दी थी, जिसमें 6 से 7 बैग रखे हुए थे। कैश का अंदेशा होने की वजह से आयकर विभाग को सूचित किया गया था, जिसके बाद IT की टीम ने कांच तोड़कर अंदर से बैग बाहर निकला। जिसमें 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये कैश बरामद किया गया था। जिसके बाद से लोकायुक्त के बाद ED और IT भी सक्रिय हो गई।
ED ने कई ठिकानों पर दी थी दबिश
27 दिसंबर को जांच एजेंसियों ने सौरभ शर्मा के रिश्तेदारों और सहयोगियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित आवास में जांच एजेंसियों ने छापामार कार्रवाई की। इस दौरान अलग-अलग ठिकानों पर सर्चिंग के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए। सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर के नाम पर 6 करोड़ रुपये से अधिक की FD मिली थी। परिवार के सदस्यों और कंपनियों के नाम पर 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का बैंक बैलेंस भी मिला। 23 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेज पाए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया।
सौरभ शर्मा सोमवार (28 जनवरी) को कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचा था, लेकिन आवेदन के बाद अदालत ने जांच एजेंसी से डायरी मंगवाई थी, जिसके बाद उसे अगले दिन आने के लिए कहा। वकील के मुताबिक, सुबह 11 बजे जैसे ही सौरभ कोर्ट जा रहा था। लोकायुक्त ने उसे बाहर से ही गिरफ्तार कर लिया और लोकायुक्त ऑफिस ले गई। जहां उससे 5 घंटे तक पूछताछ की गई। उसकी निशानदेही पर उसके साथी चेतन गौर को भी हिरासत में लिया गया था।