नई दिल्ली

2जी घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 12 साल बाद केंद्र सरकार ने आदेश में संशोधन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. केंद्र उस शर्त में संशोधन चाहता है जिसके तहत सरकार को स्पेक्ट्रम संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी मार्ग अपनाने की आवश्यकता पड़ती है. केंद्र ने कानून के अनुसार प्रशासनिक प्रक्रिया के माध्यम से आवंटन करने की मांग की है.

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ के समक्ष एक अंतरिम आवेदन का उल्लेख किया. आवेदन को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह करते हुए शीर्ष कानून अधिकारी ने पीठ से कहा कि याचिका 2012 के फैसले में संशोधन का अनुरोध करती है क्योंकि केंद्र कुछ मामलों में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है. प्रधान न्यायाधीश ने वेंकटरमणी से कहा, ‘हम देखेंगे, आप कृपया एक ई-मेल भेजें.’

गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने नीलामी संबंधी अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया था. संबंधित गैर सरकारी संगठन उन याचिकाकर्ताओं में शामिल था जिनकी याचिकाओं पर न्यायालय ने फरवरी 2012 में अपना निर्णय दिया था. इस साल 22 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में राजा और 16 अन्य को बरी करने के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को स्वीकार कर लिया था, जिससे एजेंसी द्वारा याचिका दायर करने के छह साल बाद मामले की सुनवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया.

सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले में ‘कुछ विरोधाभास’ थे जिनकी ‘गहन पड़ताल’ की आवश्यकता है. विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को बरी कर दिया था. सीबीआई ने 20 मार्च, 2018 को विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. एजेंसी ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया के चलते राजकोष को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

केंद्र सरकार ने 2012 के 2जी स्पेक्ट्रम संबंधी फैसले में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इसमें सरकार से देश के प्राकृतिक संसाधनों को हस्तांतरित करने या उससे अलग करने के लिए नीलामी का रास्ता अपनाने की बात कही गई थी. केंद्र ने कहा कि फैसले में संशोधन की आवश्यकता है क्योंकि स्पेक्ट्रम का आवंटन न केवल वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के लिए आवश्यक है, बल्कि सुरक्षा, आपदा तैयारी जैसे सार्वजनिक हित के कार्यों के निर्वहन के लिए गैर-वाणिज्यिक उपयोग के लिए भी आवश्यक है.

केंद्र ने अपने आवेदन में इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, संरक्षा और आपदा तैयारी के उद्देश्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ भारत को आवश्यकतानुसार गतिशील निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए दूरसंचार की पूर्ण क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि आम जनता की सर्वोत्तम भलाई की जा सके.