आगामी 4 जून को लोकसभा चुनावों तथा आंध्र प्रदेश और ओडिशा की विधानसभा चुनावों की वोटों की गिनती और चुनावी नतीजों के बेहद आश्चर्यजनक होने के ज्योतिषीय संकेत दिख रहे हैं। 4 जून के दिन गोचर में आज़ाद भारत की कुंडली (15 अगस्त 1947, मध्य रात्रि, दिल्ली) के लग्नेश शुक्र चतुर्थेश सूर्य के साथ सामान अंशों पर आ कर पूर्ण अस्त होंगे। इसके साथ-साथ गोचर में पंचमेश बुध का एकादशेश और अष्टमेश गुरु के साथ सामान अंशों और क्रांति पर आ कर ग्रह युद्ध में फंस जाना बेहद विस्मयकारी और चौकाने वाले चुनाव परिणामों और बड़ी राजनीतिक उठापठक के ज्योतिषीय संकेत दे रहा है। इन संकेतों को समझने के लिए आइये महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी और उनको चुनौती दे रहे राहुल गांधी की जन्म कुंडली का विश्लेषण करते हैं।

कांग्रेस की सीटें 2019 के मुकाबले हो सकती हैं दोगुनी

कांग्रेस पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनावो में मात्र 44 सीट तथा 2019 में 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी की स्थापना कुंडली हम इंदिरा गांधी के द्वारा 2 जनवरी 1978 को पार्टी के विभाजन के समय की लेते हैं जिसमें मीन लग्न उदय हो रहा है तथा चन्द्रमा कन्या राशि में राहु के साथ युत है। गोचर में कुम्भ राशि में चल रहे शनि कांग्रेस की कुंडली में कन्या राशि में बैठे चन्द्रमा से छठे भाव में हो कर शुभ हैं । वृषभ राशि में गोचर कर रहे गुरु कांग्रेस के चन्द्रमा से नवम भाव में अच्छी स्थिति में हैं। गुरु में राहु में शुक्र की विंशोत्तरी दशा में कांग्रेस पार्टी की सीटें इस बार के आम चुनावों में पिछले प्रदर्शन के दोगुने या उससे कुछ अधिक हो सकती हैं। किन्तु अंतर दशा नाथ राहु का चन्द्रमा से नज़दीकी अंशों में होना सत्ता की बहुत निकट पहुंच कर चूक जाने का ज्योतिषीय संकेत कांग्रेस की कुंडली में दे रहा है।

इंडिया अलायन्स में बढ़ेंगे मतभेद पर होगा यह लाभ

18 जुलाई 2023 को कर्नाटक के बंगलुरु में साय: 4 बज कर 20 मिनट पर एक प्रेस कांफ्रेंस में 27 विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने गठबंधन का नाम 'इंडिया' घोषित किया। इन विपक्षी दलों के इस घोषणा के समय वृश्चिक लग्न उदय हो रहा था जो की इस इंडिया अलायन्स का जन्म लग्न है। नवम भाव में चन्द्रमा, बुध और सूर्य की युति से बन रहे राजयोग और धन योग के चलते गठबंधन को मीडिया में अच्छा प्रचार मिला।

किन्तु इंडिया अलायन्स की वृश्चिक लग्न की कुंडली में शनि में शुक्र में गुरु की विंशोत्तरी दशा 15 जून तक है। शनि चतुर्थ में स्वग्रही है किन्तु अंतर दशानाथ शुक्र द्वादशेश हो कर कुछ कमज़ोर है। प्रत्यंतर दशानाथ गुरु विवादों के छठे भाव में होने से इंडिया अलायन्स के कुछ नेताओं के छिटक कर दूसरे पाले में जाने का योग निर्मित कर रहे हैं। ऐसे में इंडिया अलायन्स के चुनाव जीतने की ज्योतिषीय सम्भावना नहीं बनती। किन्तु सूर्य और चन्द्रमा के नवम भाव में बन रहे राजयोग के चलते इस गठबंधन के कुछ बड़े दलों जैसे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिव सेना उद्धव ठाकरे और द्रमुक को अच्छी सफलता मिलने के ज्योतिषीय योग दिखा रहे हैं।

बीजेपी और मोदी को मिलेगी सत्ता, किन्तु इन विवादों के बाद बीजेपी की स्थापना कुंडली 6 अप्रैल 1980 को दोपहर 11 बज कर 45 मिनट पर दिल्ली में मिथुन लग्न की बनती है जिसमें चन्द्रमा में बुध की विंशोत्तरी दशा 17 फरवरी 2024 से 18 जुलाई 2025 तक चलेगी। चन्द्रमा बीजेपी की कुंडली में छठे भाव में अच्छे नीच भंग योग में है किन्तु अंतर दशा नाथ बुध का केतु से कुम्भ राशि में युत होना और उस पर से वर्तमान में पाप ग्रह शनि का गोचर पार्टी में बड़े विवादों और कुछ अनहोनी घटनाओं के बाद सत्ता पाने का योग है। बीजेपी का मत प्रतिशत और सीटें दोनों 2019 के लोक सभा चुनाव मुकाबले कम रहेंगे।

17 सितम्बर 1950 को दोपहर के समय वाडनगर, मेहसाणा गुजरात में जन्में प्रधानमंत्री मोदी की जन्म कुंडली वृश्चिक लग्न की है जिसमें बन रहा चन्द्रमा और मंगल का राजयोग उनको पिछले दो दशकों से पहले गुजरात और अब केंद्र की राजनीति में बड़ी सफलताएं देता आ रहा है। नरेंद्र मोदी की कुंडली में चन्द्रमा से चतुर्थ भाव यानि केंद्र में गुरु के होने से गजकेसरी योग तथा लग्न से पंचम भाव में बैठे राहु पर दशमेश सूर्य की दृष्टि से बन रहा राजयोग भी बड़ी सफलता दिलाने का योग है। किन्तु वर्तमान में चंद्रमा से चतुर्थ में गोचर कर रहा शनि तथा विंशोत्तरी दशा में मंगल में शनि की कठिन दशा के चलते उनकी पार्टी का मत प्रतिशत और सीटों की संख्या कुछ कम हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की जन्म राशि वृश्चिक पर 6 जून की अमावस्या के दिन वृषभ राशि में गोचर कर रहे चन्द्रमा, गुरु, बुध, सूर्य और शुक्र की दृष्टि के साथ-साथ कुम्भ राशि से शनि की दसवीं दृष्टि तथा मेष राशि में गोचर कर रहे मंगल की आठवीं दृष्टि पड़ेगी जो की बेहद विस्मयकारी और कुछ विवादास्पत राजनीतिक जोड़तोड़ के बाद उनको तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने का अवसर देगी।