नई दिल्ली
गूगल ने प्ले स्टोर की नीति का उल्लंघन करने पर कर्ज देने वाले ऐप्स (डिजिटल लेंडिंग ऐप) पर शिकंजा और कस दिया है। गूगल ने अपनी नीति में बदलाव करते हुए भारत में ऐप के माध्यम से कर्ज देने वाली कंपनियों के शपथपत्र देना अनिवार्य कर दिया है। इसमें कर्ज देने से जुड़ीं सभी शर्तों का पूरा ब्योरा देना होगा। इसके साथ ही ऐप के संचालन से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज की कॉपी भी गूगल के पास जमा करनी होगी। यही नहीं अगर आरबीआई ने उक्त ऐप को व्यक्तिगत ऋण देने की अनुमति प्रदान की है तो उसकी भी एक प्रति मूल्यांकन के लिए गूगल को सौंपनी होगी।

नाम बदलकर नहीं होगा फर्जीवाड़ा

गूगल ने अपनी नई नीति में स्पष्ट कहा है कि कर्ज बांटने वाली कंपनियों को इस तरह के ऐप को प्ले स्टोर में अपलोड करने के लिए वित्त श्रेणी को चुनना अनिवार्य होगा। ऐप के डेवलपर और कंपनी का नाम दस्तावेज से मिलना चाहिए। इसमें किसी तरह की त्रुटि होने पर ऐप को ब्लॉक कर दिया जाएगा।

बीते साल हजारों ऐप पर कार्रवाई की थी

गूगल ने पिछले महीने जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि वर्ष 2022 में कुल 3500 से अधिक कर्ज बांटने वाले ऐप को प्ले स्टोर नियमों के उल्लंघन के आरोप में हटाया गया था। गूगल ने भारत समेत दुनिया के कई देशों में इन ऐप द्वारा फोटो, कॉन्टैक्ट और लोकेशन जैसी जानकारी हासिल करने की अनुमति लने के बाद गलत इस्तेमाल के आरोप में उनको बंद किया था।

350 अरब डॉलर का होगा कारोबार

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में डिजिटल कर्ज का बाजार वर्ष 2022 में 270 अरब डॉलर का था। अनुमान है कि वर्ष 2023 तक ये 350 अरब डॉलर के पार चला जाएगा। वर्ष 2030 तक 80 करोड़ लोग ऑनलाइन खरीदारी में दिलचस्पी दिखा रहे होंगे। इसका सीधा असर डिजिटल भुगतान और डिजिटल कर्ज बाजार पर देखने को मिलेगा।
 
ऐप पर केंद्र सरकार की सख्ती

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फरवरी 2023 में कर्ज बांटने वाले 94 ऐप को बंद किया था। प्रारंभिक सूचना के अनुसार ये ऐप लोगों की व्यक्तिगत जानकारी चुराने के साथ जासूसी के काम में लगे थे। ऐप से लोन लेने के बाद कुछ मामले ऐसे भी आए थे जिसमें लोगों को इतना परेशान किया गया कि उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने इन ऐप के खिलाफ सख्ती शुरू की थी।

एक हजार ऐप के खिलाफ शिकायतें

एक रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग एक हजार ऐसे ऋण देने वाले ऐप हैं, जिनकी कार्यप्रणाली को लेकर शिकायतें मिली हैं। इनमें से करीब 750 ऐप्स गूगल प्लेस्टोर पर मौजूद हैं। करीब 300 ऐप ऐसेहैं, जिन्होंने लोगों पर भरोसा जमाने के लिए वेबसाइट भी बना रखी हैं, हालांकि उनमें बहुत कम जानकारी दी गई हैं। कुछ महीने पहले आरबीआई ने भी ऐसे ऋण ऐप के बारे में चेतावनी जारी की थी।

ऐसे करते हैं ठगी

    क्रेडिट कार्ड रिपोर्ट और सिबिल स्कोर से आर्थिक तंगी के शिकार लोगों का डाटा जुटाते हैं
    कॉल सेंटर के जरिए लोगों को फोन करके आसान लोन का झांसा देते हैं
    छोटी रकम का लोन भी मिल जाता है लेकिन ब्याज दर बहुत ज्यादा होती है
    लोगों से 200% से 500% तक की ऊंची ब्याज दर वसूली जाती है
    कई बार लोन की दो से पांच किस्त तक काटने के बाद बची रकम दी जाती है
    ऐप इंस्टॉल करते ही मोबाइल के कॉन्टैक्ट और फोटो-वीडियो तक उनकी पहुंच हो जाती है
    किस्त चूकने पर निजी फोटो सार्वजनिक करने की धमकी देकर परेशान करते हैं
    परिजनों, रिश्तेदारों और दफ्तर के सहयोगियों को तक को धमकी भरे फोन करते हैं

धोखाधड़ी से ऐसे बचें

    ऐप से उधार लेते समय सावधानी बरतें। ऐप कंपनी के बारे में अच्छी तरह से पड़ताल कर लें
    आरबीआई के साथ पंजीकृत ऋणदाता कंपनी को ही चुनें। तुरंत ऋण देने वाली कंपनियों के लुभावने वादों से बचें
    ऋण ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसकी सभी नियम-शर्तों को जान लें। प्रॉसेसिंग फीस और अन्य शुल्कों के बारे में पता करें
    ऐप को इंस्टॉल करते समय ईमेल, फोटो, कॉन्टैक्ट, मैसेज आदि का एक्सेस देने से बचें