जुलाई का महीना व्रत त्योहार के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस माह जगन्नाथ रथयात्रा, गुप्त नवरात्रि, सावन का महीना आदि कई प्रमुख तिथियों और त्योहारों की शुरुआत होती है। साथ ही इस महीने दो बड़ी एकादशी का व्रत भी किया जाएगा, जिसमें योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी हैं। इसके साथ ही गुरु पूर्णिमा के बाद सावन मास के सावन सोमवार के व्रत शुरू हो जाएंगे। इस तरह जुलाई माह में भक्तजन भगवान शिव और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर पाएंगे। वहीं जुलाई माह में आषाढ़ अमावस्या, विवस्वत सप्तमी, कोकिला व्रत आदि कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। ग्रह-नक्षत्र के लिहाज से भी जुलाई का महीना काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, इस महीने कई बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करने वाले हैं। आइए जानें इस महीने आने वाले प्रमुख त्योहारों की तिथि और उनका धार्मिक दृष्टि से क्या महत्व है।

योगिनी एकादशी (2 जुलाई, मंगलवार)

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। योगिनी एकादशी पर इस बार त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि जैसे महायोग बन रहे हैं।

आषाढ़ अमावस्या (5 जुलाई, शुक्रवार)

आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सुबह पवित्र नदियों में स्नान करके पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। वहीं जो लोग पवित्र नदियों में स्नान नहीं करने जा पा रहे हैं, वे घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

गुप्त नवरात्रि शुरू (6 जुलाई, शनिवार)

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ 6 जुलाई से हो रहा है और 15 जुलाई को समापन होगा। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। साल में चार नवरात्रि आते हैं, जिसमें दो गुप्त और दो उदय नवरात्रि होते हैं। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

जगन्नाथ रथयात्रा शुरू (7 जुलाई, रविवार)

हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथयात्रा प्रारंभ हो जाती है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथयात्रा का विशेष महत्व है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लाखों लोग शामिल होते हैं।

विवस्वत सप्तमी (12 जुलाई, शुक्रवार)

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि विवस्वत सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव और सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि विधि विधान के साथ पूजा और व्रत के करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

हरिशयनी एकादशी, चातुर्मास शुरू, मुहर्रम (17 जुलाई, बुधवार)

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरिशयनी, देवशयनी, विष्णु-शयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास का आरंभ हो जाता है। चातुर्मास के आरंभ होते ही शुभ व मांगलिक कार्य बंद होते हैं और एकादशी तिथि का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही इस दिन मुहर्रम भी मनाया जाएगा।

कोकिला व्रत (20 जुलाई, शनिवार)

हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को कोकिला व्रत किया जाता है। इस तिथि में माता पार्वती की कोकिला यानी कोयल रूप में पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत आषाढ़ मास की चतुर्दशी तिथि से प्रारंभ होता है और सावन मास की पूर्णिमा तक चलता है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कोकिला व्रत किया था।

गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा (21 जुलाई, रविवार)

हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शिष्य गुरुओं की पूजा करते हैं और उपहार देते हैं। साथ ही इस दिन ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के साथ साथ अट्ठारह पुराण, महाभारत ग्रंथ, श्रीमद्भागवत समेत कई ग्रंथों व पुराणों की रचना करने वाले वेद व्यासजी का जन्म हुआ था और व्यासजी को प्रथम गुरु भी माना जाता है। व्यासजी के शिष्यों ने ही गुरु पूर्णिमा की शुरुआत की थी।

सावन सोमवार (22 जुलाई, सोमवार)

आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से ही सावन की शुरुआत हो जाती है और इस बार सावन की शुरुआत सोमवार के दिन से ही हो रही है, जो बेहद शुभ संयोग बन रहा है। शिव भक्त इस माह का बेसब्री से इंतजार करते हैं। सावन मास में भगवान शिव रूद्र रूप में सृष्टि का संचालन करते हैं। इस बार सावन में पांच सावन सोमवार का व्रत किया जाएगा।