चेन्नई
अंतरराष्ट्रीय मास्टर और प्रतिष्ठित ट्रेनर तथा मार्गदर्शक (मेंटर) वर्गीज कोशी का निधन हो गया है। वह 66 बरस के थे। कोशी के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे हैं। कोशी को अपने फेफड़े के कैंसर के बारे में लगभग दस महीने से पता था और उन्होंने अपने हास्य के साथ इस खतरनाक बीमारी का सामना किया। उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, ‘अपना समय आ गया।’

कोशी शतरंज की दुनिया के उन कुछ खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने इस खेल को खुद सीखा। इस खेल के प्रति उनके अति-आधुनिक दृष्टिकोण ने उन्हें अपने अधिकांश साथियों की तुलना में बेहतर स्थिति में रखा। वह युग जब कंप्यूटर बहुत कम भूमिका निभाते थे तब कोशी विश्लेषण करने के अपने कौशल के दम पर आगे बढ़े और नब्बे के दशक की शुरुआत में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत के नंबर दो खिलाड़ी बने।

कोशी ने कई मौकों पर देश का प्रतिनिधित्व किया लेकिन खेल में उनका सबसे बड़ा योगदान एक ट्रेनर के रूप में आया। उन्होंने 1990 के दशक के मध्य में पी हरिकृष्णा को ट्रेनिंग दी और उनके साथ कई वर्षों तक काम किया। वह हरिकृष्णा की पहली बड़ी प्रतियोगिता के लिए उनके साथ नीदरलैंड के विज्क आन जी भी गए। हरिकृष्णा बाद में देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बने। उन्होंने भारत के कई अन्य खिलाड़ियों को भी ट्रेनिंग दी जिसमें पूर्व विश्व जूनियर चैंपियन अभिजीत गुप्ता भी शामिल हैं।

हरिकृष्णा ने एक्स पर लिखा, ‘‘मुझे अपने पूर्व कोच अंतरराष्ट्रीय मास्टर वर्गीज कोशी सर के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ है। उन्होंने मेरे करियर को आकार देने और मुझे अंतरराष्ट्रीय मास्टर बनने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनके मार्गदर्शन में मैंने ना केवल शतरंज बल्कि अनुशासन, नैतिकता और कड़ी मेहनत भी सीखी। एक शानदार व्यक्ति जिन्होंने मेरे सहित कई भारतीय शतरंज खिलाड़ियों के करियर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।’’