नई दिल्ली
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप को परिष्कृत ईंधन के निर्यात में लगातार वृद्धि की है। यूरोपीय संघ द्वारा रूस से तेल की खरीद पर प्रतिबंध लगाने के बाद, भारत ने यूरोप को परिष्कृत तेल उत्पादों का प्रमुख निर्यातक बनकर उभरते हुए अपनी निर्यात क्षमता को बढ़ाया है।

नवंबर में हुआ रिकॉर्ड निर्यात
केपलर के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2024 में भारत से यूरोप को परिष्कृत ईंधन का निर्यात 400,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तक पहुंच गया, जोकि अबतक का सबसे उच्चतम स्तर है। यह संख्या 8 नवंबर को अपडेट की गई थी और महीने के अंत में इसे फिर से संशोधित किया जाएगा। इससे पहले अक्टूबर में भारत ने यूरोप को 335,000 बैरल प्रति दिन परिष्कृत ईंधन का निर्यात किया था, जो सितंबर के मुकाबले 59% अधिक था।

भारत का परिष्कृत ईंधन निर्यात इस समय विशेष रूप से बढ़ा है क्योंकि सऊदी अरब की यानबू रिफाइनरी नवंबर और दिसंबर में रखरखाव के लिए बंद रहेगी। इसके कारण सऊदी अरब से यूरोप को परिष्कृत ईंधन का निर्यात कम हो जाएगा और भारत से डीजल की निर्यात की मांग बढ़ने की संभावना है।

भारत का प्रमुख निर्यातक बनना
भारत की रिलायंस जामनगर रिफाइनरी, जो परिष्कृत तेल उत्पादों का प्रमुख निर्माता है, ने यूरोप को बढ़े हुए निर्यात में अहम भूमिका निभाई है। रिलायंस की रिफाइनरी ने अक्टूबर में 335,000 बैरल प्रति दिन और नवंबर में 440,000 बैरल प्रति दिन तक निर्यात भेजने का अनुमान जताया है।

रिफाइनरी के बंद होने से बढ़ी मांग
यूरोप में रिफाइनरियों के रखरखाव के कारण उत्पादन में कमी आई है, जिससे यूरोप में परिष्कृत तेल उत्पादों की आपूर्ति सीमित हो गई है। साथ ही सर्दियों के मौसम में डीजल की खपत बढ़ने से भारत का निर्यात और अधिक बढ़ा है। भारत मुख्य रूप से यूरोप को डीजल और जेट ईंधन निर्यात करता है।

भारत का निर्यात आंकड़ा
बता दें कि 2024-25 के पहले 10 महीनों में भारत का यूरोप को ईंधन निर्यात 2,551 हजार बैरल प्रति दिन (केबीडी) रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 2,672 केबीडी था। 2022 में यह आंकड़ा 1,459 केबीडी था, जो अब काफी बढ़ चुका है।

भारत से यूरोप को निर्यात
वहीं भारत ने अक्टूबर में यूरोप को 238,000 बीपीडी डीजल और 81,000 बीपीडी जेट ईंधन निर्यात किया जबकि सितंबर में ये आंकड़े क्रमशः 79,000 बीपीडी डीजल और 131,000 बीपीडी जेट ईंधन के थे। अंत में बता दें कि भारत का परिष्कृत ईंधन निर्यात इस समय यूरोप के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बन चुका है, और आने वाले महीनों में यह निर्यात और बढ़ने की संभावना है।