• सक्षम परियोजना हाशिए पर पड़ी महिलाओं व बालिकाओं को लक्ष्य में रखते हुए एक वित्तीय साक्षरता की एक पहल है जो उन्हें वित्तीय निर्णयों के बारे में जानकार बनाते हुए मूलभूत वित्तीय शिक्षा प्रदान करता है।    
  • परियोजना में लड़कियों सहित लगभग 30,000 महिलाओं को शामिल किया गया, 600 से अधिक कार्यशालाओं को प्रशिक्षित किया गया, जो उत्तर (उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एनसीआर), पश्चिम (महाराष्ट्र) और पूर्वी भारत (बिहार, पश्चिम बंगाल) में छह राज्यों में फैली हुई थीं।
  • वित्तीय साक्षता के वर्कशाप के पाठ्यक्रम में बजटिंग, सेविंग, क्रेडिट वर्दीनेस और इन्वेस्टमेंट प्लानिंग जैसे विषयों को कवर किया गया।

नई दिल्ली. होम क्रेडिट इंडिया (एचसीआईएन), अग्रणी वैश्विक कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता कंपनी की स्थानीय शाखा, ने हाल ही में अपने वित्तीय साक्षरता की सीएसआर पहल `सक्षम’ को  लाभार्थी के तौर पर 30000 हाशिये की महिलाओं व बालिकाओं को शिक्षित करते हुए एक निजी अलाभकारी संगठन इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन (आईडीएफ) को सहभागी बनाते हुए पूरा किया है। सक्षम परियोजना  9 महीनों की वित्तीय साक्षरता पहल थी जिसे जुलाई 2022 से मार्च 2023 के बीच पूरा किया गया है।

सक्षम वित्तीय साक्षरता परियोजना का मुख्य उद्देश्य हाशिए पर पड़ी महिलाओं व बालिकाओं  को मूलभूत वित्तीय शिक्षा प्रदान करते हुए वित्तीय निर्णयों के बारे में जानकार के तौर पर सक्षम बनाना है। सक्षम परियोजना के तहत करीब 30000 महिलाओं (इनमें छात्राएं, गृहणियां, घरेलू कामगार महिलाएं व दैनिक वेतनभोगी महिलाएं शामिल थीं) को देश के उत्तरी (उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली एनसीआर), पश्चिमी (महाराष्ट्र) व पूर्वी (बिहार, पश्चिम बंगाल) क्षेत्रों में 605 वित्तीय साक्षरता वर्कशाप्स के जरिए कवर किया गया। जैसा कि सक्षम परियोजना में 30 फीसदी छात्राएं शामिल थी तो इसे 2020 से लागू नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम में आने का भी लाभ मिला है।

सक्षम परियोजना की सफलता पर बोलते हुए होम क्रेडिट इंडिया के मुख्य विपणन अधिकारी, आशीष तिवारी ने कहा, “भारत में और वैश्विक स्तर पर वित्तीय साक्षरता सामान्य साक्षरता से बहुत पीछे है और महिलाओं में तो ये न्यनतम स्तर पर है। होम क्रेडिट इंडिया के लिए वित्तीय साक्षरता ईएसजी के प्रमुख स्तंभों में से एक है और हम समाज में एक उत्तरदायी ऋण लेने वाली संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए वित्तीय व डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित करते हुए इस पर काम कर रहे हैं। हमें इंडियन डेवलमेंट फाउंडेशन की सहभागिता के साथ सक्षम परियोजना का पहला चरण पूरा करते हुए प्रसन्नता हो रही है और यह हमारे समाज में हाशिए की महिलाओं को सशक्त व सक्षम बनाने की बस एक शुरुआत है जो उन्हें वित्तीय कौशलयुक्त करते हुए उनमें आत्मविश्वास लाएगा और उनके व्यक्तिगत व पारिवारिक वित्तीय फैसलों को लेने में मदद करेगा।”

एक जवाबदेह ग्राहक ऋण प्रदाता के तौर पर होम क्रेडिट इंडिया का विश्वास है कि मूलभूत वित्तीय जानकारी लोगों के वैयक्तिक वित्तीय मामलों के प्रबंधन व पहले से जानकारी शुदा फैसलों के लिए आवश्यक है। वित्तीय साक्षरता वर्कशाप  सक्षम के पाठ्यक्रम में बजटिंग, सेविंग्स, क्रेडिट वर्दीनेस और इन्वेस्टमेंट प्लानिंग जैसे विषयों को कवर किया गया।

परियोजना के संपन्न होने पर बोलते हुए, सीईओ, आईडीएफ, डा. नारायण अय्यर ने कहा, "देश में वित्तीय समावेशन पर सरकार के फोकस के चलते विशेष तौर पर वित्तीय साक्षरता आज के समय की आवश्यकता बन चुका है। हाशिए की महिलाओं को लक्ष्य बनाते हुए हमने समाज के सबसे निचले स्तर से वित्तीय शिक्षा की शुरुआत की है जो कि इसकी महत्ता को समाज के बड़े हिस्से तक फैलाने के लिए एक मजबूत नींव रखेगा। हमारे साक्षरता वर्कशाप्स में शामिल होने वाले लाभार्थियों ने शानदार प्रतिक्रिया देते हुए इस तरह के प्रशिक्षण को नियमित रुप से कराने और अधिक प्रभावी बनाने के लिए परिवार के पुरुष सदस्यों को भी शामिल करने का अनुरोध किया है। आईडीएफ दशकों से शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम कर रहा है और देश में वित्तीय साक्षरता को प्रोत्साहित के लिए होम क्रेडिट के प्रेरित करने के चलते हम इस अभियान को और आगे ले जाने में सफल होंगे।”           

आरबीआईऔर अन्य वित्तीय नियामकों द्वारा प्रवर्तित नैशनल सेंटर फार फाइनैंशिल एजुकेशन (एनसीईएफ) के अनुसार, भारत की कुल आबादी का लगभग 80 फीसदी साक्षर है हालांकि वयस्क आबादी का केवल 27 फीसदी ही वित्तीय साक्षर है जबकि महिलाओं में यह संख्या केवल 21 फीसदी है।
वित्तीय साक्षरता पहल के एक अंग के तौर पर होम क्रेडिट इंडिया ने अपने इन-हाउस कार्यक्रम `पैसे की पाठशाला’, माइक्रोसाइट, ब्लाग्स और सोशल मीडिया अभियानों से 30 लाख से ज्यादा लोगों को जोड़ा है। वित्तीय समावेशन के पोषण और सभी तक आसान पहुंच बनाने के लिए होम क्रेडिट का सदैव तकनीकी की शक्ति व डिजिटल नवोन्मेषों में विश्वास रहा है।