नईदिल्ली
चीन में पिछले कुछ सालों में जन्म दर में भारी गिरावट आई है, जिसके चलते चीन में बच्चों के स्कूल माने जाने वाले कई किंडर गार्डन बंद कर दिए गए हैं. ये स्थिति सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि कई देशों के लिए चिंता का विषय है. जहां घटती जन्म को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कई प्रयास कर रही है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर भारत का जन्म दर के मामले में क्या हाल है.

चीन में क्यों घट रही जन्म दर?

चीन में दशकों तक चली एक-संतान नीति के कारण लोगों में एक बच्चे को जन्म देने की मानसिकता बन गई. जी हां, एक समय ऐसा था जब चीन दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गया था. जिसके चलते चीन ने दो बच्चे पैदा करने पर रोक लगा दी थी. ऐसे में अब लोग एक ही बच्चे को जन्म देते हैं और उसका पालन पोषण करते हैं. इसके अलावा शहरीकरण के कारण लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है. करियर और जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. वहीं महिलाएं अब शिक्षित और स्वतंत्र हैं. वो करियर बनाने और परिवार नियोजन के फैसले स्वयं ले रही हैं. साथ ही बच्चों की परवरिश में आने वाली लागत लगातार बढ़ रही है. इसके अलावा चीन की आबादी भी तेजी से बूढ़ी हो रही है.

चीन में गिरती जन्मदर के क्या हैं प्रभाव?

अब सवाल ये उठता है कि चीन अपनी घटती जनसंख्या से परेशान क्यों हो रहा है? तो बता दें कि कम जन्मदर से श्रम शक्ति कम होगी, जो आर्थिक विकास को प्रभावित करेगी. इसके अलावा बुजुर्गों की संख्या बढ़ने से सामाजिक सुरक्षा प्रणाली पर दबाव बढ़ेगा. साथ ही कम युवाओं के कारण सैन्य शक्ति कमजोर हो सकती है.

भारत में जन्म दर की क्या है स्थिति?

भारत में भी पिछले समय के मुकाबले जन्म दर घटी है. अब हमारे देश में दंपत्ति एक या दो बच्चों को ही जन्म देने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि चीन के मुकाबले भारत में ये समस्या फिलहाल कम है. वहीं कई ऐसे देश हैं जहां घटती जन्म दर एक बड़ी समस्या है. बता दें जापान, दक्षिण कोरिया और कई यूरोपीय देशों में भी जन्मदर में गिरावट देखी जा रही है. जिसके लिए सरकार को आगे आकर जन्म दर को बढ़ाने के प्रयास करने पड़ रहे हैं. जी हां, इन देशों में सरकार बच्चे पैदा करने के लिए तरह-तरह के ऑफर देकर लोगों को आकर्षित कर रही है.