रुद्राक्ष धारण करने का सर्वश्रेष्ठ माह सावन है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य लिंगपुराण एवं स्कन्द आदि पुराणों एवं ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा वर्णित है। वनस्पति जगत में रुद्राक्ष ही एकमात्र ऐसा फल है जो अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष प्रदान करने में पूर्ण प्रभावशाली है। ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष का महत्व रत्नों की भांति ही है। जिस प्रकार रत्नों के माध्यम से कुण्डली के ग्रह-योगों को जातक के अनुकूल करने का प्रयत्न किया जाता है, उसी प्रकार रुद्राक्ष के द्वारा ग्रह-योगों को अनुकूल किया जाता है। रुद्राक्ष को साक्षात् शिवस्वरूप कहा गया है। रुद्राक्ष भगवान शिव को अतिप्रिय है, इसके दर्शन, स्पर्श तथा जप करने से समस्त पापों का हरण स्वतः ही हो जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति के सम्बन्ध में कहा जाता है कि भगवान शंकर जी के आंसुओं की बूंदें गिरने से पृथ्वी पर रुद्राक्ष का वृक्ष उत्पन्न हुआ।

”रुद्रस्य अक्षि रुद्राक्षः अक्ष्युपलक्षितम् अश्रु, तज्जन्यः वृक्षः।।“
रुद्राक्ष धारण करने का अधिकार भगवान शिव की आज्ञा द्वारा सभी वर्णों को, आश्रमों, स्त्रियों को है।
सर्वाश्रमाणां वर्णानां स्त्रीशूद्राणां शिवाज्ञया। धार्याः सदैव रुद्राक्षाः, रुद्ररूप समाहिताः।।

सावन में धारण करें रुद्राक्ष – पंचमुखी रुद्राक्ष सर्वाधिक देखने को मिलता है। रुद्राक्ष पर जितनी धारियां होती हैं, उतने ही मुख का रुद्राक्ष माना जाता है। ज्योतिष मर्मज्ञों के अनुसार प्रत्येक लग्न अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से भाग्योदय, बाधा मुक्ति, स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

 मेष लग्न:- एक मुखी, तीन मुखी एवं पांच मुखी रुद्राक्ष।
 वृष लग्न:- चार मुखी, छह मुखी एवं चौदह मुखी रुद्राक्ष।
 मिथुन लग्न:- चार मुखी, पांच मुखी एवं तेरह मुखी रुद्राक्ष।
 कर्क लग्न:- तीन मुखी, पांच मुखी एवं गौरीशंकर रुद्राक्ष।
 सिंह लग्न:- एक मुखी, तीन मुखी एवं पांच मुखी रुद्राक्ष।
 कन्या लग्न:- चार मुखी, पांच मुखी एवं तेरह मुखी रुद्राक्ष।
 तुला लग्न:- चार मुखी, छह मुखी एवं चौदह मुखी रुद्राक्ष।
 वृश्चिक लग्न:- तीन मुखी, पांच मुखी एवं गौरी शंकर रुद्राक्ष।
 धनु लग्न:- एक मुखी, तीन मुखी एवं पांच मुखी रुद्राक्ष।
 मकर लग्न:- चार मुखी, छह मुखी एवं चौदह मुखी रुद्राक्ष।
 कुम्भ लग्न:- चार मुखी, छह मुखी एवं चौदह मुखी रुद्राक्ष।
 मीन लग्न:- तीन मुखी, पांच मुखी एवं गौरी शंकर रुद्राक्ष।