वाशिंगटन

साल भर की मेहनत के बाद अमेरिकी पिता-बेटी की टीम ने वो एलियन सिग्नल डिकोड कर लिया है, जिसे मंगल ग्रह से भेजा गया था. इन दोनों का नाम है केन शैफिन और केली शैफिन. इस सिग्नल को पिछले साल मई में यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर (TGO) ने मंगल से रिसीव करके धरती पर भेजा था.

इस सिग्नल को डिकोड करने के लिए SETI Institute, Green Bank Observatory, ESA और INAF ने मिलकर एक सिटिजन साइंटिस्ट कॉम्पीटिशन रखा. धरती पर मौजूद तीन रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जरवेटरी ने इस संदेश को पकड़ा. फिर उसे डिकोड किया. दस दिन बाद दुनिया भर से पांच हजार से ज्यादा सिटिजन साइंटिस्ट इस सिग्नल को और डिकोड करने में लग गए. ये सभी ऑनलाइन ये काम कर रहे थे.

खुलासा किसने किया इस कोड का

अमेरिका के केन और केली शैफिन ने इस सिग्नल को डिकोड किया. जिसमें सफेद डॉट्स और लाइन्स के पांच झुंड थे. जिनका बैकग्राउंड काला था. ये कोशिका के बनने की तरफ इशारा कर रहे थे. यानी जीवन के निर्माण की ओर. केन और केली ने बताया कि हमारे डिकोडेड मैसेज में पांच अमीनो एसिड्स हैं, जो ब्रह्मांड में जीवन निर्माण करते हैं. ये सभी जैविक मॉलीक्यूलर डायग्राम हैं. यानी लाइफ देने वाले अमीनो एसिड्स के डायग्राम.

इन ब्लॉक्स में आपको 1,6, 7, 8 पिक्सेल के एटॉमिक नंबर मिलेंगे. यानी हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन. सिंगल और डबल बॉन्ड्स से इन डायग्राम में लाइन्स बनी हैं. जैसे आम एटॉमिक डायग्राम में होती हैं. डॉट्स उन्हें जोड़ने का काम करते हैं.

सिग्नल तो डिकोड हो गया अब आगे क्या?

केन और कैली ने सिग्नल को डिकोड कर लिया है लेकिन अब भी सिटिजन साइंटिस्ट लोग इसे समझने में लगे है. प्रतियोगिता अब भी चल रही है. अब अगला मकसद है इस डिकोडेड संदेश का अर्थ क्या है, वो समझने का. अब शैफिन परिवार अलग से कुछ टेस्ट करेगा. ताकि इसके पीछे छिपे संदेश को भी समझा जा सके.