विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2024

सिवनी मालवा

शासकीय कुसुम स्नातकोत्तर  महाविद्यालय सिवनी मालवा में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर इको क्लब द्वारा जल प्रबंधन एवं पर्यावरण सुरक्षा" विषय पर आयोजित कार्यशाला में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.राजेश कुमार रघुवंशी ने कहा कि
पर्यावरणविदों के अनुसार जंगल जमीन के फेफड़े है प्रकृति की अकूत दौलत है, और लिप्सा दानवीय प्रवृत्ति। अगर इंसान उड़ पाता तो आसमान को भी प्रदूषित कर देता | मानव की असंतुलित गतिविधियां जो पर्यावरण में खतरनाक परिवर्तन लाती हैं  

सहायक प्राध्यापक रमाकांत सिंह ने
विकास की अंधी दौड़ में जंगलों की अंधाधुंध कटाई, औद्योगीकरण के कारण कल कारखानों व बेइंतहा फ़सल उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का अति प्रयोग हरी-भरी बसुंधरा को मानव के रहने के योग्य नहीं छोड़ा है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग  हवा, जल, ध्वनि, मृदा, प्रकाश व रेडियोएक्टिविटी की गुणवत्ता में अशुद्धता पैदा करता है।

प्रो. एस.के अग्रवाल ने कहा कि हमारा पर्यावरण हमारे रवैये व  अपेक्षाओं का आयना होता है जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जिसके ग्रीनहाउस दुश्प्रभावों से ओजोन परत को पहुंचे नुकसान से बढ़ते तापमान के कारण मानव अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। प्रो. कमल सिंह अहिरवार ने कहा कि  पर्यावरण को खतरा अमीरों की अमीरों से व कंपनियों की मुनाफाखोरी से बहुत है। पक्षी पर्यावरण के संकेतक हैं, अगर वे खतरे में हैं तो हम भी नहीं बच सकेंगे। सिर्फ संतुलित तापमान पर ही पृथ्वी स्वर्ग रह सकती है। प्रो. प्रशांत चौरसिया ने अपने विचारों में कहा  कि पृथ्वी हमारी नहीं, हम पृथ्वी के हैं। विश्व का हर जीवधारी अपने हिस्से की शुद्ध ऑक्सीजन का अधिकारी है।

कार्यक्रम संयोजक नवनीत कुमार सोनारे ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हम कंक्रीट का जंगल खड़ा कर रहे हैं। प्रकृति के सभी रूप हमारे उत्कृष्ट शिक्षक हैं जो हमें किताबों से अधिक सिखा सकती हैं। हमारे अहसास ही स्वार्थपूर्ण हैं जो हमें प्रकृति में दिव्यता के दर्शन नहीं करने देते हैं। इस कार्यशाला में डॉ कल्पना स्थापक, डॉ ए.के यादव,  डॉ मोहन सिंह गुर्जर, डॉ योगेश खंडेलवाल, डॉ जया कैथवास, डॉ आरती पडियार, डॉ अनुराग पथक, श्रीमती विजयमालवीय,  प्रेम नारायण परते,  डॉ अतुल गौर, श्रीमती सुमन यादव, श्रीमती गीता डोंगरे, कैलाश गड़वाल, तथा समस्त स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।