भोपाल
 प्रचंड गर्मी के चलते भोपाल के बड़े तालाब का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पिछले कुछ महीनों में तालाब का जलस्तर 7 फीट से अधिक कम हो गया है, जो चिंता का विषय बन गया है। यदि बारिश नहीं होती है तो भोपाल में पानी की किल्लत की समस्या गहरा सकती है। पिछले साल मई के मध्य से जून के आखिरी हफ्ते तक शहर की पानी की जरूरतें बड़े तालाब से तीन फीट पानी खींचकर पूरी की गई। अगर यह औसत खपत बनी रही तो इस प्राचीन तालाब का जलस्तर संभावित रूप से 1655 फीट से नीचे गिर सकता है, जो खतरनाक डेड स्टोरेज लेवल से महज तीन फीट ऊपर है। पिछले दिनों के मुकाबले राजधानी भोपाल में 42.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

चिलचिलाती गर्मी में तेजी से वाष्पित हो रहे भोपाल के बड़े तालाब का जलस्तर अब पिछले साल जून के अंत में दर्ज किए गए जलस्तर से भी नीचे चला गया है। इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि बड़े तालाब का जलस्तर अब अपने डेड स्टोरेज लेवल तक पहुंचने के बेहद करीब है, जो इस महत्वपूर्ण बिंदु से महज सात फीट दूर है। इस पर लोगों का कहना है कि यदि मानसून में अच्छी बारिश होती है, तो तालाब का जलस्तर बढ़ सकता है और पानी की किल्लत की समस्या कम हो सकती है। भोपाल में पानी की किल्लत की समस्या से निजात पाने के लिए बारिश का इंतजार किया जा रहा है।

इस मामले पर भोपाल नगर निगम बीएमसी आशावादी होते हुए दावा कर रहा है कि स्थिति चिंताजनक नहीं है। हालांकि, यदि मानसून अपेक्षित वर्षा देने में फेल रहता है तो परिस्थितियां तेजी से बिगड़ सकती हैं। जिसके कारण संभावित रूप से पानी की गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। गुरुवार को अपर लेक का जल स्तर 1658.85 फीट पर था। वहीं अपर लेक का पूर्ण टैंक स्तर 1666.8 फीट है।

भोपाल शहर के निवासियों को प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 166 लीटर पानी उपलब्ध कराया जाता है, जो कि 176 लीटर के राष्ट्रीय मानक से थोड़ा कम है। इस स्थिति से निपटने की पहल के बावजूद, भोपाल की पानी की 10फीसदी आवश्यकताएं अभी भी ट्यूबवेल और हैंडपंप पर निर्भर हैं। पिछले वर्षों में, पानी की कमी के कारण 450 मीटर की गहराई तक बोरवेल पर निर्भरता थी, जिससे गर्मियों के चरम पर सूखे का खतरा बढ़ गया था। बीएमसी अपर लेक से प्रतिदिन लगभग 27 एमजीडी पानी निकाल रही है। ऐसा अनुमान है कि 35 एमजीडी पानी कोलार से तथा लगभग 30 एमजीडी पानी नर्मदा जल आपूर्ति परियोजना से प्राप्त होता है।