भोपाल
मध्य प्रदेश के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति को शानदार जनादेश दिया है। प्रदेश से छह महिला सांसद चुनी गई हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में महिला सांसद प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगी।

3 आदिवासी वर्ग की महिला सांसद
विशेष बात यह भी है कि इन छह में से तीन आदिवासी वर्ग से आती हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की कुल 29 सीटों में से छह पर महिलाओं को मौका दिया था। जबकि विपक्षी दल कांग्रेस ने केवल एक सीट रीवा से महिला प्रत्याशी नीलम अभय मिश्रा को उतारा था। भाजपा की ओर से मैदान में उतरीं सागर से लता वानखेड़े, भिंड से डा. संध्या राय, शहडोल से हिमाद्री सिंह, बालाघाट से भारती पारदी, धार से सावित्री ठाकुर और रतलाम से अनीता नागर सिंह चौहान ने जीत दर्ज की। तीन पुरानी, तीन पहली बार जाएंगी लोकसभा डा. संध्या राय, हिमाद्री सिंह और सावित्री ठाकुर सांसद रह चुकी हैं।

अनीता चौहान, लता वानखेड़े और भारती पारदी पहली बार सांसद चुनी गई हैं। अनीता चौहान, सावित्री ठाकुर और हिमाद्री सिंह आदिवासी वर्ग से आती हैं। 2009 सबसे अधिक छह तो में 2004 में दो ही महिलाएं जीतीं भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां महिलाओं को टिकट देती हैं लेकिन जीतने वालों में अधिकतर महिला सांसद भाजपा से रही हैं।

पिछले चार लोकसभा चुनावों के परिणामों पर ही नजर डालें तो वर्ष 2009 में सर्वाधिक छह महिलाएं चुनाव जीतीं थीं। इनमें दो कांग्रेस और चार भाजपा से थीं। जबकि, वर्ष 2004 में केवल दो महिलाओं सुमित्रा महाजन और नीता पटेरिया ने विजय प्राप्त की।
वर्ष 2019 में प्रदेश से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, हिमाद्री सिंह, रीति पाठक और डा. संध्या राय चुनाव जीती थीं। भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती चार बार खजुराहो और एक बार भोपाल से सांसद रहीं। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहीं। वहीं, कांग्रेस से जमुना देवी वर्ष 1962 में झाबुआ लोकसभा सीट (अब रतलाम) से चुनाव जीतकर सांसद बनी थीं।