हरिद्वार/जोशीमठ/ बद्रीनाथ

राजाजी टाइगर रिजर्व में चल रहा टाइगर ट्रांसलोकेशन का कार्य सफलता के नए आयाम गढ़ रहा है। पार्क के पश्चिमी छोर में एक बार फिर एक बाघिन नन्हें शावक के साथ नजर आयी है।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पूर्व पार्क के इसी क्षेत्र में जिम कॉर्बेट से ट्रांसलोकेट की गई एक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया था। इसको लेकर राजाजी प्रशासन व वन महकमा बेहद ही उत्साहित था। इसी बीच अब एक और बाघिन अपने नन्हें शावक के साथ देखी गयी है। कैमरा ट्रैप में नन्हें शावक के साथ दिखी यह बाघिन पूर्णतया स्वस्थ है।

कुछ वर्ष पूर्व बाघों को ट्रांसलोकेशन को लेकर शुरू हुआ कार्य अब अंतिम चरण में है। जिम कॉर्बेट से चार बाघों (एक नर, तीन मादा) को सफलता पूर्वक ट्रांसलोकेट किया जा चुका है। जल्द ही पांचवें बाघ को लाने की तैयारी चल रही है। टाइगर मॉनिटरिंग टीम के साथ ही पार्क के निदेशक साकेत बडोला हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

एक पखवाड़े के भीतर दो बाघिनों के नन्हे शावकों के साथ दिखने से पार्क महकमा उत्साहित तो है लेकिन अब इन्हें सुरक्षित रखना भी एक बड़ी चुनौती है। फायर सीजन व भीषण गर्मी के बीच मौके पर तैनात वन कर्मी अलर्ट मोड में हैं। उम्मीद है कि जो सफल परिणाम टाइगर ट्रांसलोकेशन के बाद आये हैं, उन्हें देख कर लगता है कि जल्द ही राजाजी टाइगर रिज़र्व भी बाघों की दहाड़ से गूंजेगा।

राजाजी पार्क के निदेशक साकेत बडोला ने बताया कि पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में कॉर्बेट पार्क से ट्रांसलोकेट की गई एक और बाघिन अपने नन्हें शावक के साथ नजर आयी है। एक पखवाड़े के भीतर यह दूसरी सफलता है। हमारी सभी टीमें हर परिस्थिति व इनके मूवमेंट पर पैनी नजर रख रही हैं। जल्द ही पांचवा बाघ भी यंहा ट्रांसलोकेट किया जाएगा।

उत्तराखंड: पर्यटकों के लिए खुली विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी, 48 पर्यटकों का पहला दल पहुंचा

 उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी एक जून से पर्यटकों के लिए खुल गई है। उप वन संरक्षक बीबी मर्तोलिया ने घांघरिया बेस कैंप से 48 पर्यटकों के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

डीएफओ ने बताया कि सेंचुरी एरिया होने के कारण पर्यटक फूलों की घाटी में रात्रि को नहीं रुक सकते हैं। पर्यटकों को फूलों की घाटी का भ्रमण करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना अनिवार्य किया गया है। बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है।

उन्होंने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर ट्रैकिंग के लिए देशी नागरिकों को 200 रुपये तथा विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये ट्रैक शुल्क निर्धारित है। ट्रैक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है। फूलों की घाटी के लिए बेस कैंप घांघरिया से टूरिस्ट गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है। इस साल फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

फूलों की घाटी ट्रैक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इस घाटी की रोचक बात ये है कि ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदल लेती है। फूलों की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो आपको सिर्फ यहीं देखने को मिलती है। फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है। यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं। हर साल बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार करने आते है। प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के विहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं।

सीएम धामी ने भगवान बद्रीनाथ के किए दर्शन, चारधाम यात्रा की तैयारियां का लिया जायजा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बद्रीनाथ धाम पहुंचकर सबसे पहले भगवान बद्रीनाथ का दर्शन-पूजन किया। उन्होंने देश और प्रदेश की समृद्धि के लिए भगवान बद्रीनाथ से प्रार्थना की।

पुजारियों ने सीएम धामी को भगवान बद्रीनाथ का विशेष प्रसाद भेंट किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बद्रीनाथ धाम में दर्शनों के लिए आए सभी श्रद्धालुओं से बातचीत की और उनसे चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का फीडबैक लिया। उनकी समस्याओं को भी सुना।

मुख्यमंत्री धामी ने बद्रीनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं के साथ श्रद्धालुओं को दी जा रही सभी सुविधाओं और सुरक्षा का स्थलीय निरीक्षण भी किया। धाम में आई जनता अपने बीच मुख्यमंत्री को देखकर बहुत खुश और उत्साहित नजर आई।

मुख्यमंत्री धामी ने श्रद्धालुओं के रुकने के लिए बनाई गए गेस्ट हाउस का निरीक्षण किया। श्रद्धालुओं को दिए जाने वाले भोजन को भी देखा। पेयजल, बिजली, दवाइयां, साफ सफाई, शौचालय आदि सभी का निरीक्षण किया और सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। धाम में पेयजल आपूर्ति, बिजली और साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए।

इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने बद्रीनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य का भी स्थलीय निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुनर्निर्माण कार्य में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।