ग्वालियर
पानी नहीं निकलने पर बोरवेल को खुला छोड़ देने और उसमें बच्चों के गिरने की कई घटनाओं के बाद प्रशासन इन पर सख्ती करने सक्रिय हुआ है। खुले बोरवेल के लिए राज्य सरकार ने कड़े नियम और कानून बनाने का निर्णय लिया है। इसकी शिकायत करने के लिए सीएम हेल्पलाइन (181) पोर्टल पर नया विकल्प भी शुरू किया गया है। शिकायत पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के अधिकारी तत्काल कार्रवाई करेंगे। सीएम हेल्पलाइन के पोर्टल में बोरवेल संबंधी शिकायत दर्ज करने का विकल्प भी शामिल कर लिया गया है। अभी तक बोरवेल से संबंधित शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई भी ऐसा प्लेटफार्म नहीं था। गौरतलब है कि नईदुनिया पिछले साल से ‘खुले बोरवेल’ का मुद्दा लगातार उठाता आ रहा है। एप या पोर्टल पर इस तरह से कर सकेंगे शिकायत दर्ज सीएम हेल्पलाइन के एप को मोबाइल पर प्ले स्टोर से डाउनलोड करें। एप के मुख्य पृष्ठ पर लाल रंग का एक विकल्प दिखाई देगा। इस पर लिखा है

ओपन बोरवेल कंप्लेंट
जिस पर क्लिक करने पर शिकायत दर्ज करने के अलग-अलग विकल्प मिलते हैं। बोरवेल कंप्लेंट पर क्लिक करना होता है।

इसमें तीन बॉक्स दिखाई देते हैं
एक बॉक्स में सब डिपार्टमेंट चुनना होता है। इस पर क्लिक करने पर तीन विकल्प मिलते हैं। पहला 'खुले बोरवेल से संबंधित नगर निगम क्षेत्र' दूसरे में खुले बोरवेल से संबंधित नगर पालिका या नगर परिषद' और तीसरे में 'खुले बोरवेल से संबंधित ग्रामीण क्षेत्र'। इसके बाद संबंधित जिला चुनना होगा। आपको 50 शब्दों में शिकायत लिखनी होगी। (इसके बाद आपकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन के पोर्टल पर दर्ज हो जाएगी और निर्धारित अवधि में इस पर कार्रवाई होगी।)

बोरवेल से संबंधित जानकारी व सावधानी नहीं रखी तो होगी कार्रवाई
बोरवेल का खनन कराने वाले तथा जो कंपनी बोरवेल का खनन करती है उसके खिलाफ शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकेगा। इन बिंदुओं का पालन नहीं किया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -बोरवेल खनन करने से कम से कम 15 दिवस पूर्व भूमिस्वामी को संबंधित निकाय को लिखित सूचना देनी होगी। बोरिंग करने वाली सभी एजेसियों को पंजीयन कराना होगा। बोरवेल अनुपयोगी, बंद या असफल होने पर उसे बंद करना होगा। खनन के लिए स्थान, समय, बोरवेल के सफल या असफल होने की सूचना देनी होगी। बोरवेल के सफल या असफल होने पर अक्षांश व देशांतर सहित फोटो के साथ जानकारी मोबाइल एप पर दर्ज करानी होगी।