भोपाल
पंचायत चुनावों में जीत कर आने वाले नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए भरपूर राजस्व की व्यवस्था करने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायत चुनावों के बीच ही ग्रामीण अंचलों की छह हजार रुपए से अधिक कीमत की सम्पत्तियों से सम्पत्ति कर वसूली की कार्यवाही शुरु करने के लिए सभी कलेक्टरों, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों और जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को फरमान जारी कर दिए है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव ने सभी अधिकारियों को जारी फरमान में कहा है कि पंचायतों को आत्मनिर्भर  बनाने  के लिए  उनकी स्वयं की आय में निरंतर वृद्धि होना आवश्यक है। इसके लिए मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 में ग्राम सभा तथा पंचायत राज संस्थाओं को विभिन्न अनिवार्य एवं वैकल्पिक कर तथा फीस लगाने और संकलित करने के अधिकार दिए गए है।

उन्होंने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जनसुविधाएं उपलब्ध कराए जाने हेतु इन करों तथा फीस लगाने और इनका संकलन अतिआवश्यक हो गया है। इसलिए ग्राम सभा द्वारा लगाए जाने वाले अनिवार्य करों में सम्पत्ति कर लगाए जाने और वसूली करने की कार्यवाही शुरु की जाए।

ग्रामीण अंचलों में संघ या राज्य सरकार, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या जिला परिषद के स्वामित्व के या उनमें निहित भवन और भूमियों, धार्मिक या शैक्षणिक प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाये जाने वाले भवन तथा भूमिया या उनके कोई भाग जिनके अंतर्गत बोर्डिंग हाउस भी है। इन्हें छोड़कर शेष सभी छह हजार रुपए से अधिक कीमत वाली सम्पत्तियों पर सम्पत्ति कर वसूली की कार्यवाही की जाएगी।

ग्राम पंचायत क्षेत्र में  स्थित सभी निजी आवासीय एवं व्यावसायिक सम्पत्तियों के साथ-साथ ऐसे सभी संस्थान  जो कि निगम, मंडल, कंपनी, बोर्ड, ट्रस्ट एवं प्राधिकरण आदि के रुप में काम कर रहे है जिनमें विद्युत वितरण कंपनियों, पर्यटन विकास बोर्ड, वनोपज सहकारी संघ, औद्योगिक विकास निगम, खनिज विकास निगम, कृषि विपणन बोर्ड आदि की पंचायत क्षेत्र में स्थित सम्पत्तियों को भी सम्पत्ति कर निर्धारण एवं संकलन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।