फरीदाबाद

लोकसभा क्षेत्र फरीदाबाद में इस बार चुनाव लड़ रहे 24 प्रत्याशियों में 22 अपनी जमानत बचाने में नाकाम रहे। बीजेपी के विजेता प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर और कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप को छोड़कर बाकी सभी की जमानत जब्त हुई है। नोटा पांचवें नंबर पर रहा। हरियाणा में साढ़े चार साल सत्ता में रही जेजेपी फरीदाबाद में छठे नंबर पर रही।

चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करने समय प्रत्याशी को जमानत के रूप में कुछ राशि जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में जमा करानी होती है। इस बार के चुनाव में यह जमानत राशि 25 हजार रुपये थी, जबकि अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए यह राशि 12 हजार 500 रुपये रखी गई थी। जो प्रत्याशी चुनाव के दौरान डाले गए कुल वोट का छठा भाग हासिल कर लेते हैं, उनकी जमानत राशि वापस मिल जाती है।

इससे कम वोट पाने वालों की जमानत राशि जब्त हो जाती है। चुनावी माहौल में जमानत जब्त होने को लेकर काफी चर्चाएं भी होती हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में कुल 24 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इन प्रत्याशियों के लिए 1469950 मतदाताओं ने वोट डाले थे। जमानत बचाने के लिए प्रत्याशी को 244990 से अधिक वोटों की जरूरत थी, लेकिन केवल दो प्रत्याशी ही इस आंकड़े को पार कर पाए।

अभी तक 233 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
फरीदाबाद में प्रत्याशियों की जमानत जब्त होने का आंकड़ा अधिक है। फरीदाबाद लोकसभा 1977 में बनी थी। तब से अब तक 13 चुनाव हो चुके हैं। इन 13 चुनाव में 262 प्रत्याशी लड़ चुके हैं। इनमें केवल 29 प्रत्याशी ही ऐसे रहे हैं, जो डाले गए वोटों के छठे भाग से अधिक वोट हासिल कर पाए हैं, यानी अपनी जमानत बचा पाए हैं। बाकी सभी 233 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है। 2014 के चुनाव में तो केवल विजयी उम्मीदवार ही जमानत बचा पाए थे। उस साल 27 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और जीत हासिल करने वाले प्रत्याशी के अलावा अन्य सभी 26 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी।

यहां देख कब किनते प्रत्याशी की जमानत जब्त

सालकुल प्रत्याशीजमानत जब्त
197775
1980107
19842119
19891816
19912321
19964139
19981512
19991210
20041411
20092320
20142726
20192725
20242422

इन पार्टियों की हालत पता चलीबीजेपी के साथ हरियाणा की सत्ता में रही जेजेपी चुनाव से कुछ समय पहले ही अलग हुई थी। विधानसभा चुनाव में जेजेपी मजबूती से उभरी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में उनकी हालत खराब रही। इसी तरह सत्ता में वापसी का सपना देख रही इनेलो भी दम नहीं दिखा सकी। दोनों पार्टियों के लिए शर्मनाक बात रही कि इनसे अधिक वोट नोटा को मिले। जेजेपी व इनेलो से बेहतर स्थिति में बीएसपी रही, जो तीसरे नंबर पर आई।