भोपाल
कोलार में चल रहे सिक्स लेन रोड निर्माण में 4,000 से अधिक पेड़ों की 'गैरकानूनी' कटाई पर एनजीटी की नजर टेढ़ी है। मामले की जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है। एनजीटी में यह याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता नितिन सक्सेना ने दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएमसी से मंजूरी लेकर 4,000 से अधिक पेड़ काटे गए हैं।

उन्होंने सरकार के एक आरटीआई जवाब का हवाला देते हुए खुलासा किया कि अधिकारी इस कटाई के ऐवज में जंगल लगाने और/या 1.26 करोड़ रुपए का मुआवजा जमा करने में विफल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सिक्स लेन की कोलार रोड प्रोजेक्ट की लागत 222 करोड़ रुपये से बढ़कर 300 करोड़ रुपये हो गई है। यह प्रोजेक्ट लोकल लोगों के लिए एयर पॉल्यूशन और अन्य पर्यावरणीय नुकसान का स्रोत बन रही है।

शुक्रवार को अपने आदेश में, एनजीटी ने स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है। इस समीति में MoEF&CC, भोपाल कलेक्टर, प्रमुख सचिव राज्य पर्यावरण विभाग और एमपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील हरप्रीत सिंह गुप्ता ने कहा कि समिति ने छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया है कि ग्रीन क्रेडिट और इसके उपयोग से संबंधित MoEF&CC दिशानिर्देशों का संबंधित अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया गया है। मुद्दे पर विचार की आवश्यकता है।

शिकायत में मध्य प्रदेश वृक्षों का परीक्षण अधिनियम 2001 की कथित उपेक्षा शामिल है, जो पेड़ों की कटाई के लिए कुछ शर्तों को अनिवार्य करता है। इसमें कटाई के ऐवज में वनारोपण और मौद्रिक योगदान शामिल है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का उल्लंघन और MoEF&CC अधिसूचनाओं का अनुपालन न करना भी सामने लाया गया है। इन उल्लंघनों के कारण, एनजीटी ने प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। समन्वय एवं सहयोग के लिए मप्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी नामित किया गया है।