भोपाल

कोरोना के दौरान आयुर्वेद के प्रति लोगों में बढ़ते विश्वास को देखते हुए आयुष विभाग ने आयुर्वेद को चिकित्सा पद्धति की मुख्यधारा में स्थापित करने के लिए धरातल पर काम करने का संकल्प लिया है। आयुर्वेद के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग ने जन अभियान चलाने की नीति पर काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश के अन्य जिलों में आयुर्वेद का मेडिकल कॉलेज खोलने की दिशा में प्रयास कर रहा हैं।

विभाग इसके लिए जनप्रतिनिधियों से प्रस्ताव मांग रहा है। जिससे छात्र आयुर्वेद की पढ़ाई कर सकें। औषधीय पौधे के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए विभाग की एक विशेष टीम गांव-गांव जाकर किसानों को जागरूक करेगी। जिससे किसान खेती के साथ औषधीय पौधे भी आसानी से लगाएं। विभाग इसके लिए संभागीय स्तर पर एक टीम बना रही है। जिसमें आयुर्वेद के जानकार किसानोें को कम बजट में औषधीय पौधे लगाने के लाभ के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। जिससे ग्रामीणें में आयुर्वेद के प्रति स्वभाविक रूप से दिलचस्पी पैदा होगी और उनका रूझान आयुर्वेद के प्रति स्वयं बढ़ने लगेगा।

पेटेंट कराने पर होगा निर्णय
आयुष विभाग भी अब इस बात को स्वीकार कर लिया है कि पेटेंट के अभाव में आयुर्वेद को वह पहचान नहीं मिल सका जिसके लिए वह हकदार था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। राज्य लघु वनोपज संघ के साथ मिलकर आयुष विभाग औषधीय पौधों से निर्मित होने वाली दवाओं का पेटेंट कराने की प्रक्रिया को लेकर गंभीर हो गया है।