नई दिल्ली
 2022-23 के लिए विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाते हुए सरकार ने कहा कि चालू वित्तवर्ष (2023-24) के लिए जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान संभव है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने 2022-23 की चौथी तिमाही और पूरे वित्तवर्ष के लिए जीडीपी डेटा जारी होने के बाद संवाददाताओं से यह बात कही।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2022-23 की जनवरी-मार्च अवधि में 6.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछली तिमाही में यह 4.4 प्रतिशत थी। पूरे 2022-23 के लिए, विकास दर 7.2 प्रतिशत अनुमानित की गई थी, जो 7 प्रतिशत के उन्नत अनुमान से अधिक है, लेकिन 2021-22 में दर्ज 9.1 प्रतिशत की तुलना में कम है।

नागेश्वरन ने कहा, मुझे लगता है कि मैं अपनी गर्दन उठाए रख सकता हूं और कह सकता हूं कि जब वित्तवर्ष 2023 के लिए संशोधित संख्या अगले साल जारी की जाएगी, तो 7.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के आंकड़े में संशोधन हो सकता है।

उन्होंने कहा, भारत 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की राह पर है। अप्रैल 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति 18 महीने के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर थी।

सीईए ने कहा, "हमें ग्रामीण मांग में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं। 2022-23 की चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।"
नागेश्वरन ने कहा कि कई क्षेत्रों में क्षमता उपयोग पहले ही 75 प्रतिशत को पार कर चुका है।

उन्होंने यह भी बताया कि महामारी से पहले होटल उद्योग में कुल रोजगार 4 करोड़ था। महामारी के दौरान यह 2.9 करोड़ तक गिर गया था, लेकिन अब बढ़कर 4.5 करोड़ हो गया है। नागेश्वरन ने संवाददाताओं से कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में निजी खपत 2022-23 में 16 साल के उच्चतम स्तर पर थी।