नई दिल्ली/ जाजपुर/पुणे

 इस बार के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों की भागीदारी में वृद्धि देखी गई और 2019 के आम चुनाव में 36 दलों के उम्मीदवार चुने जाने की तुलना में 2024 के चुनाव में 41 दलों के उम्मीदवार चुने गए।

थिंक-टैंक ‘पीआरएस’ के एक विश्लेषण के अनुसार, इस चुनाव में राष्ट्रीय दलों ने 346 सीट पर जीत प्राप्त की जो कुल सीट की 64 फीसदी हैं, वहीं राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त दलों ने 179 सीट पर जीत दर्ज की है जो कुल सीट का 33 प्रतिशत है।

गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने 11 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, वहीं सात पर निर्दलीयों को विजेता घोषित किया गया है।

चुनाव से संबंधित विश्लेषण करने वाली संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ के विश्लेषण के अनुसार, 2009 से 2024 तक राजनीतिक दलों की संख्या में 104 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

साल 2024 में आम चुनाव में कुल 751 दलों ने भाग लिया, जबकि 2019 में 677, 2014 में 464 और 2009 में 368 दल मैदान में थे।

एडीआर और ‘नेशनल इलेक्शन वॉच’ ने हाल में संपन्न हुए चुनावों में किस्मत आजमाने वाले कुल 8,337 उम्मीदवारों के हलफनामों का अध्ययन कर ये आंकड़े प्रस्तुत किए।

 

ओडिशा विधानसभा चुनाव: कई बीजद नेताओं के बेटों को मिली शिकस्त

 ओडिशा के जाजपुर जिले में बीजू जनता दल (बीजद) के कई नेताओं के बेटे और एक बीजद नेता की पत्नी विधानसभा चुनाव हार गए।

कोरेई विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व ढाई दशक से अधिक समय से बीजद के संगठन सचिव प्रणब प्रकाश दास के पिता अशोक दास करते आ रहे थे।

इस बार बीजद ने अशोक दास की पत्नी संध्यारानी दास को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कोरेई सीट से विधानसभा चुनाव हार गईं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आकाश दास नायक ने संध्या रानी दास को 5,646 मतों से हराकर कोरेई सीट जीती।

धर्मशाला विधानसभा सीट पर वरिष्ठ नेता कल्पतरु दास के पुत्र और बीजद उम्मीदवार प्रणव बलवंतराय निर्दलीय उम्मीदवार हिमांशु शेखर साहू से 4,150 मतों से चुनाव हार गए।

बलवंतराय के पिता कल्पतरु दास ने 1995 से धर्मशाला सीट पर चार बार जीत हासिल की थी।

सुकिंदा विधानसभा क्षेत्र में बीजद के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल चंद्र घादेई के पुत्र और बीजद उम्मीदवार प्रीति रंजन घादेई भाजपा के उम्मीदवार प्रदीप बल सामंत से 9,496 मतों से विधानसभा चुनाव हार गए।

प्रफुल्ल घादेई ने सुकिंदा सीट कई बार जीती है।

जाजपुर जिले की सात विधानसभा सीट में से भाजपा और बीजद ने तीन-तीन सीट पर जीत हासिल की है जबकि एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ है।

मंगलवार को ओडिशा में भाजपा ने 147 विधानसभा सीटों में से 78 सीटें हासिल कर न केवल राज्य में नवीन पटनायक के 24 साल के राज को समाप्त कर दिया बल्कि सत्ता में आने के लिए बहुमत भी हासिल कर लिया।

भाजपा को 51 जबकि कांग्रेस को 14 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई है। एक सीट माकपा के खाते में तो तीन सीटों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है।

 

सतारा लोकसभा सीट पर चुनाव चिन्ह के समान नाम के कारण राकांपा (एसपी) उम्मीदवार पराजित : जयंत पाटिल

 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रमुख जयंत पाटिल ने दावा किया कि उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह और एक निर्दलीय उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह के नाम में समानता होने के कारण मतदाताओं में भ्रम पैदा हुआ जिसके कारण सतारा लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी के उम्मीदवार की हार हुई।

पाटिल ने  पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि मतों को बांटने के लिए जानबूझकर निर्दलीय उम्मीदवारों को समान नाम वाले चुनाव चिन्ह आवंटित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राकांपा (एसपी) इस मुद्दे पर भारत निर्वाचन आयोग से शिकायत करेगी।

शरद पवार द्वारा स्थापित की गई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो धड़ों में बंट जाने के बाद निर्वाचन आयोग ने राकांपा (एसपी) को ‘तुरहा बजाता हुआ आदमी’ (एक पारंपरिक तुरही) चुनाव चिन्ह आवंटित किया था।

सतारा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उदयनराजे भोंसले ने राकांपा (एसपी) के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे को 32,000 से अधिक मतों से हराया है।

सतारा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार संजय गाडे को 37,062 मत मिले थे और उनका चुनाव चिन्ह ‘तुतारी’ था।

पाटिल ने दावा किया, ”हमारा चुनाव चिन्ह ‘तुतारी बजाता हुआ आदमी’ था, लेकिन साथ ही तुरही का चुनाव चिन्ह भी निर्दलीय उम्मीदवारों को दिया गया था और सूची में इसे ‘तुतारी’ कहा गया था। परिणामस्वरूप जिन निर्वाचन क्षेत्रों में राकांपा (एसपी) ने चुनाव लड़ा वहां तुरही के चुनाव चिन्ह वाले उम्मीदवारों को काफी संख्या में मत मिले। ”

जयंत पाटिल ने कहा, ”डिंडोरी में तुरही चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार को एक लाख से अधिक वोट मिले। सतारा में हमारा उम्मीदवार 32,000 वोटों से हार गया और वहीं तुरही चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार को 37,000 से अधिक मत मिले। ”